Sarva Pitru Amavasya

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    मुंबई: सनातन संस्कृति (Sanatan Culture) में पूर्वजों और पितरों को देवतुल्य दर्जा प्राप्त है। इसीलिए साल में दो बार पितरों के उद्धार के लिए श्राद्ध पक्ष (Shraddha Paksha) का निर्माण किया गया है ताकि अर्पण और तर्पण से तृप्त हो पितृ अपने वंशजों को धन-धान्य, पुत्रादि से समृद्ध करें। 10 सितंबर को पूर्णिमा तिथि से शुरू हुआ श्राद्ध पक्ष (महालय) आश्विन मास की सर्वपितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya) को 25 सितंबर को समाप्त हो रहा है। इस दिन 59 वर्षों के बाद पांच प्रबल राजयोग का निर्माण हो रहा है जो अनेक जातकों के साथ राष्ट्र के लिए अत्यंत शुभ है। 

    ज्योतिष के मुताबिक, सर्व पितृ अमावस्या पर चंद्रमा, सिंह से निकलकर कन्या में प्रवेश करेंगे। इस दिन लक्ष्मी नारायण योग और बुधादित्य योग का निर्माण हो रहा है। एक साथ कन्या राशि में 4 ग्रहों के गोचर का विशेष संयोग बन रहा है। 25 सितंबर को सुबह 6.20 बजे से 26 सितंबर को सुबह 5.56 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। साथ ही बुधादित्य योग और गुरु शक्ति का केंद्र त्रिकोण योग भी है। इन तीन संयोग में अर्पण-तर्पण करना फलदायी होगा। ज्योतिष के अनुसार, इस बार सर्व पितृ अमावस्या पर ग्रह, नक्षत्र, तिथि और वार से मिलकर चार शुभ संयोग बन रहे हैं।  

    59 वर्षों बाद पांच प्रबल राजयोग

    ज्योतिष के अनुसार, जब भी कोई ग्रह गोचर वक्री होता है अथवा वक्री होने के कारण एक ग्रह की दूसरे ग्रह से युति बनती है तो विशेष योगों का निर्माण होता है। जिसका सीधा प्रभाव मानव जीवन के साथ-साथ देश दुनिया पर भी पड़ता है। 24 सितंबर शनिवार को एक ऐसे ही योग का निर्माण 59 साल बाद हो रहा है। शनिवार को शुक्र ग्रह कन्या में गोचर करेंगे जहां बृहस्पति और शनि पहले से ही वक्री अवस्था में विराजमान हैं। साथ ही बुध भी उच्च का होकर वक्री स्थिति में बैठा है जो विभिन्न राजयोगों जैसे नीचभंग राजयोग, बुधादित्य राजयोग, भद्र राजयोग और हंस पंच राजयोग का निर्माण कर रहा है।