-सीमा कुमारी
भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत (Bhadrapada Pradosh Vrat) 24 अगस्त आज यानी बुधवार को है, इसलिए यह बुध प्रदोष व्रत है। ‘शिव पुराण’ के अनुसार, भोले शंकर की आराधना के लिए प्रदोष का व्रत बहुत पुण्यकारी माना जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है, ग्रह दोषों से भी मुक्ति मिलती है। तो आइए जानें बुध प्रदोष व्रत की तिथि, पूजा मुहूर्त के बारे में-
तिथि
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 24 अगस्त को सुबह 08 बजकर 30 मिनट पर लग रही है और यह तिथि 25 अगस्त को सुबह 10 बजकर 37 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में त्रयोदशी तिथि में प्रदोष पूजा का मुहूर्त 24 अगस्त को प्राप्त हो रहा है, इसलिए बुध प्रदोष व्रत 24 अगस्त को ही रखा जाएगा।
पूजा मुहूर्त
जैसा कि आपको पता है कि प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय में करते है। इस वजह से बुध प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 52 मिनट से रात 09 बजकर 04 मिनट तक है। इस समय में आपको भगवान शिव की पूजा कर लेनी चाहिए।
व्रत वाले दिन राहुकाल दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से दोपहर 02:00 बजे तक है। इस दिन अमृत काल सुबह 10 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक है। इस दिन कोई अभिजीत मुहूर्त नहीं है।
महिमा
प्रदोष व्रत देवों के देव महादेव की पूजा के लिए समर्पित है। हिंदू धर्म में ‘प्रदोष व्रत’ का विशेष महत्व हैं। भगवान शिव को समर्पित ‘प्रदोष व्रत’ हिन्दू श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता हैं। इस व्रत को करने से रोग, ग्रह दोष, कष्ट, पाप आदि से मुक्ति मिलती है। इस व्रत के पुण्य प्रभाव से नि:संतान लोगों को पुत्र भी प्राप्त होता है। शिव जी की कृपा से धन, धान्य, सुख, समृद्धि से जीवन परिपूर्ण होता है।