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    -सीमा कुमरी

    साल 2022 का पहला ‘प्रदोष व्रत’ (Pradosh Vrat) 15 जनवरी शनिवार के दिन है। शास्त्रों के मुताबिक, ‘शनि प्रदोष’ व्रत संतान प्राप्ति के लिए सबसे उत्तम व्रतों में से एक माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन व्रत रखने से भगवान शिव (Lord Shiva Puja) के साथ-साथ शनिदेव का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। आइए जानें शनि प्रदोष व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में।

    शुभ मुहूर्त

    पौष, शुक्ल त्रयोदशी शनिवार 15 जनवरी, 2022 को है। त्रयोदशी तिथि 14 जनवरी को रात्रि में 10 बजकर19 मिनट पर शुरु होकर 16 जनवरी को दोपहर में 12 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगी। इस दौरान व्रती भगवान शिवजी एवं माता पार्वती की पूजा-उपासना कर सकते हैं।

    पूजा-विधि  

    भगवान शिव के स्मरण के साथ ब्रह्म मुहूर्त में उठकर दिन की शुरुआत करें। इसके पश्चात नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। स्वच्छ कपड़े धारण करें। सबसे पहले भगवान सूर्य को जल अर्घ्य दें। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा, शिव चालीसा का पाठ, मंत्र जाप करें। फल, फूल, धूप, दीप, अक्षत, भांग, धतूरा, दूध, दही और पंचामृत से करें, अंत में आरती अर्चना करें, दिनभर उपवास रखें। शाम को पूजा-आरती करने के बाद फलाहार करें,अगले दिन पूजा-पाठ के बाद व्रत खोलें।

    महत्व

    प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि, धन, संपत्ति, संतान, शांति, आरोग्य आदि की प्राप्ति होती हैं। शनि प्रदोष व्रत करने से पुत्र का प्राप्ति होती हैं।