Pradosh Vrat
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    -सीमा कुमारी

    मार्गशीर्ष माह का पहला ‘प्रदोष व्रत’ (Pradosh Vrat) आज यानी 21 नवंबर दिन सोमवार को है। मार्गशीर्ष माह के इस प्रदोष व्रत को बहुत ही शुभ माना जा रहा है। चूंकि यह व्रत सोमवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे ‘सोम प्रदोष व्रत’ कहेंगे। प्रदोष व्रत और सोमवार दोनों ही दिन भगवान शिव को समर्पित है। ऐसा कहते हैं कि ‘सोम प्रदोष व्रत’ के दिन भगवान शिव की पूजा से सारे संकट दूर जाते हैं। आइए जानें मार्गशीर्ष के पहले ‘प्रदोष व्रत’ की पूजन विधि और मुहूर्त के बारे में –

    तिथि

    पंचांग के मुताबिक, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 21 नवंबर को सुबह 10 बजकर 06 मिनट पर हो रही है। साथ ही, अगले दिन 22 नवंबर को सुबह 08 बजकर 48 मिनट पर त्रयोदशी तिथि का अंत हो रहा है। वहीं, ‘प्रदोष व्रत’ की पूजा करने का विधान शाम को है। इसलिए सोम प्रदोष व्रत 21 नवंबर को रखा जाएगा।

    पूजा सामग्री और विधि

    इस दिन सुबह जल्दी स्नान करें और फिर साफ सुथरे वस्त्र धारण करें। साथ ही एक चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती का चित्र या कोई मूर्ति स्थापित करें। फिर षोडशोपचार पूजन करें। वहीं, ‘सोम प्रदोष व्रत’ पूजा के लिए शिव और माता पार्वती की श्रृंगार की सामग्री, गाय का कच्चा दूध, मंदार पुष्प, पुष्प, पंच फल, पंच मेवा, कपूर, धूप, पंच रस, गन्ने का रस, बिल्वपत्र (बेलपत्र),  इत्र, गंध रोली, पंच मिष्ठान्न होना चाहिए। शाम को इन सामग्री को लेकर किसी शिव मंदिर में जाएं और रुद्राभिषेक करें।

    धार्मिक महत्व

    प्रदोष व्रत करने से सभी प्रकार के दोष दूर होते है। वैसे दिन के अनुसार पड़ने वाले प्रदोष व्रत का अलग महत्व और फल होता है। जो लोग ‘सोम प्रदोष व्रत’ रखते हैं। शिव कृपा से उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मनोकामना पूर्ति के लिए यह महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। प्रदोष व्रत रखने और शिव पूजा करने से रोग, ग्रह दोष, कष्ट, पाप आदि दूर होते हैं, जीवन में सुख, समृद्धि, शांति और उन्नति प्राप्त होती है।