Pradosh Vrat
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    -सीमा कुमारी

    वैशाख महीने की ‘प्रदोष व्रत’ 28 अप्रैल, बृहस्पतिवार के दिन है। पंचांग के अनुसार, हर माह में दो बार त्रयोदशी तिथि पड़ती है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। दोनों त्रयोदशी तिथि भगवान भोलेनाथ को समर्पित है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन प्रदोष काल में माता पार्वती और भगवान भोलेशंकर की पूजा की जाती है। 

    धार्मिक मान्यता के अनुसार, त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष काल में की गई भगवान शिव की पूजा कई गुना ज्यादा फलदायी होती है। वैशाख महीने में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी 28 अप्रैल को बृहस्पतिवार के दिन होने से इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा। इस दिन व्रत करने से शत्रुओं पर विजय, आरोग्य, सुख, धन, संपत्ति आदि की प्राप्ति होती है। आइए जानें ‘गुरू प्रदोष व्रत’ के पूजा मुहूर्त एवं महत्व के बारे में –

    मुहूर्त

    वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 अप्रैल को 12:23 एएम पर प्रारंभ हो रही है, जो 29 अप्रैल को 12:26 एएम तक मान्य है। उदयातिथि की मान्यता के अनुसार, प्रदोष व्रत 28 अप्रैल को रखा जाएगा। इस दिन ही भगवान आशुतोष की पूजा अर्चना की जाएगी।

    28 अप्रैल को शाम 06:54 पीएम से रात 09:04 पीएम तक प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त है। जो लोग व्रत रखेंगे या जो पूजा करना चाहते हैं, वे इस अवधि में भगवान शिव की पूजा करें और आशीर्वाद प्राप्त करें।

    ‘गुरू प्रदोष व्रत’ वाले दिन शाम के समय में ही ‘सर्वार्थ सिद्धि योग’ बना हुआ है। यह आपको सफलता प्रदान करने वाला और कार्यों की सिद्धि के लिए शुभ योग है। इस दिन शाम 05:40 से अगले दिन 29 अप्रैल को सुबह 05:42 तक है।

    ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, गुरु प्रदोष व्रत करने से शत्रु परास्त होते हैं और विरोधियों पर वर्चस्व स्थापित होता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करें और गुरु प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें। भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, गंगाजल, गाय का दूध, सफेद चंदन आदि अर्पित करना चाहिए। प्रदोष व्रत के फल से व्यक्ति को सुख, समृद्धि, संतान, यश आदि की प्राप्ति होती है।