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    -सीमा कुमारी

    भगवान भोलेनाथ को समर्पित ‘प्रदोष व्रत'(Pradosh Vrat) 14 फरवरी, दिन सोमवार को रखा जाएगा। हर माह की त्रयोदशी तिथि को ‘प्रदोष व्रत’रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल के समय की जाती है। यह दिन भगवान शिव की कृपा पाने के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन व्रत करने के साथ शिव-पार्वती की संयुक्त रूप से पूजा करनी चाहिए। हिंदू धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व माना गया है। आइए जानते हैं प्रदोष व्रत का महत्व, मुहूर्त और पूजा विधि-

    पूजा मुहूर्त

    हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, इस वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 13 फरवरी को शाम 06 बजकर 42 मिनट पर हो रहा है। इसका समापन 14 फरवरी को रात 08 बजकर 28 मिनट पर होगा। ऐसे में प्रदोष व्रत पूजा का मुहूर्त 14 फरवरी को प्राप्त हो रहा है। इस वजह से प्रदोष व्रत 14 फरवरी दिन सोमवार को रखा जाएगा।

    सोमवार को प्रदोष व्रत होने के कारण यह सोम प्रदोष व्रत है। इस दिन शिव पूजा के लिए प्रदोष मुहूर्त शाम 06 बजकर 10 मिनट से रात 08 बजकर 28 मिनट तक है।  इस मुहूर्त में आपको शिव पूजा कर लेनी चाहिए।  

    आयुष्मान योग में प्रदोष व्रत 2022

    माघ शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत आयुष्मान योग में है, 14 फरवरी को प्रदोष व्रत के दिन आयुष्मान योग रात 09 बजकर 29 मिनट तक है। उसके बाद से सौभाग्य योग प्रारंभ हो जाएगा। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का भी संयोग बना हुआ है।

    ‘प्रदोष व्रत’ के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग दिन में 11 बजकर 53 मिनट से लेकर अगले दिन 15 फरवरी को सुबह 07 बजे तक है। इस समय काल में रवियोग भी बना हुआ है।  इस दिन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से दोपहर 12 बजकर 58 मिनट तक है।