Pradosh Vrat
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    -सीमा कुमारी

    भाद्रपद माह का दूसरा प्रदोष व्रत आज यानी 8 सितंबर गुरुवार को है। गुरुवार के दिन होने से ये ‘गुरू प्रदोष व्रत’ कहलाएगा। महादेव की आराधना के लिए प्रदोष व्रत विशेष फलदायी माना गया है। हर महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को ‘प्रदोष व्रत’ रखा जाता है।

    प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि इस खास दिन शिव जी के साथ मां पार्वती की पूजा करने से विशेष कृपा प्राप्ति होती है और जीवन की हर परेशानी समाप्त हो जाती है। आइए जानें गुरु प्रदोष व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि।

    मुहूर्त

    पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 07 सितंबर से शुरू हो रही है जो 08 सितंबर, गुरुवार की रात लगभग 9 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के कारण 08 सितंबर को प्रदोष व्रत रखा जाएगा।

    अभिजित मुहूर्त- 8 सितंबर को 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 44 मिनट तक

    रवि योग- दोपहर 01 बजकर 46 मिनट से लेकर 09 सितंबर को सुबह 06 बजकर 03 मिनट तक

    सुकर्मा योग- रात 09 बजकर 41 मिनट से शुरू हो रहा है।

    पूजा विधि

    गुरु प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर स्नानादि करने के बाद शिव जी के सामने दीपक प्रज्वलित कर प्रदोष व्रत का संकल्प लें। संध्या समय शुभ मुहूर्त में पूजन आरंभ करें। गाय के दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें। फिर शिवलिंग पर श्वेत चंदन लगाकर बेलपत्र, मदार, पुष्प, भांग, आदि अर्पित करें। फिर विधिपूर्वक पूजन करें।

    महत्व

    माना जाता है कि गुरु प्रदोष का व्रत रखने से व्यक्ति को रोग, ग्रह-दोष से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही हर तरह के कष्टों से निजात मिल जाती है, साथ ही इस व्रत के पुण्य प्रभाव से नि:संतान लोगों को संतान की भी प्राप्ति होती है।