आज है फाल्गुन का दूसरा ‘शनि प्रदोष’, महादेव शिव के आशीष के लिए इस तिथि को इस मुहूर्त में करें पूजा

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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: फाल्गुन मास का अंतिम प्रदोष व्रत यानी ‘शनि प्रदोष व्रत’ (Shani Pradosh Vrat) आज यानी 4 मार्च 2023, शनिवार के दिन रखा जाएगा। सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इस विशेष दिन पर भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करने से साधक को विशेष लाभ मिलता है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। मान्यता है कि इस दिन सूर्यास्त के बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है, इसलिए इसे प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। आइए जानें प्रदोष व्रत की तिथि, मुहूर्त और महत्व

 तिथि

फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाला प्रदोष व्रत 4 मार्च 2023, शनिवार को है। ये शनि प्रदोष व्रत होगा। फाल्गुन का ये दूसरा ‘शनि प्रदोष व्रत’ है। इससे पहले महाशिवरात्रि के दिन शनि प्रदोष व्रत का संयोग बना था। ‘शनि प्रदोष व्रत’ के प्रभाव से साधक को शिव और शनि देव दोनों का आशीर्वाद मिलता है। पुत्र प्राप्ति के लिए कामना के लिए शनि प्रदोष व्रत शुभ फलदायी माना गया है।

शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की शनि त्रयोदशी तिथि 4 मार्च 2023, शुक्रवार के दिन प्रात: 11 बजकर 43 से प्रारंभ होकर 5 फरवरी 2023 को दोपहर 2 बजकर 7 बजे समाप्त होगी। प्रदोष व्रत में शिव पूजा शाम के समय की जाती है, इसलिए ‘शनि प्रदोष व्रत’ 4 मार्च को मान्य होगा।

शनि प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त –

शाम 6 बजकर 23 मिनट – रात 8 बजकर 50 (4 मार्च 2023)

धार्मिक महत्व

 धर्म-ग्रंथ एवं वेद-पुराणों में बताया गया है कि भगवान शिव अपने भक्तों से जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। उन्हें प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत का दिन अत्यंत लाभकारी माना जाता है। मान्यता है कि शनि प्रदोष व्रत के दिन पूजा-पाठ करने से और व्रत का पालन करने से साधक के सभी पाप दूर हो जाते हैं। साथ ही कई प्रकार के ग्रह दोष भी समाप्त हो जाते हैं। इस दिन विधिवत भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा करने से धन-धान्य एवं सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।