आज दुर्गा अष्टमी और महानवमी के दिन कन्या पूजा की महिमा जानिए, 9 कन्याओं की पूजा में छुपे माता के 9 वरदान

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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: इस वर्ष 29 मार्च को दुर्गा अष्टमी और 30 मार्च को महानवमी है। नवरात्रि में अष्टमी या फिर नवमी को कन्या पूजन करने का विधान है और कन्‍या पूजन के बाद व्रत का संपूर्ण फल प्राप्‍त होता है। कन्या पूजन में छोटी-छोटी कन्याओं को आदरपूर्वक घर बुलाकर उनकी पूजा की जाती हैं, उन्हें भोजन करवाया जाता है और उन्हें पकवान खिलाए जाते हैं और यथा संभव दक्षिणा दी जाती है। मान्‍यता है कि ऐसा करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनकी कृपा से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

दुर्गा अष्टमी के दिन मां महागौरी और महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। इन दो दिनों में कन्या पूजा भी की जाती है। कन्या पूजन करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है।  कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है, इसलिए नवरात्रि में कन्या पूजा का महत्व है। आइए जानें काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से कन्या पूजा की विधि और मुहूर्त के बारे में-

पूजा मुहूर्त

चैत्र नवरात्रि में दुर्गा अष्टमी और महानवमी पर कन्या पूजा की जाएगी। 29 मार्च को दुर्गा अष्टमी के दिन प्रात:काल से ही शोभन योग बना है। रवि योग रात 8:07 बजे से अगले दिन प्रात:काल तक है। इस दिन का राहुकाल दोपहर 12:26 बजे से दोपहर 1:59 बजे तक है। ऐसे में आप प्रात:काल से लेकर राहुकाल पूर्व तक कन्या पूजा कर सकते हैं। इस दिन सुबह में लाभ-उन्नति मुहूर्त 6:15 से 7:48 बजे, अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त 7:48 से 9:21 बजे और शुभ-उत्तम मुहूर्त 10:53 से 12:26 बजे तक है। ये समय भी शुभ है।

‘महानवमी’ 2023 कन्या पूजा मुहूर्त

30 मार्च को महानवमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग पूरे दिन हैं।  गुरु पुष्य योग और अमृत सिद्धि योग रात 10:59 बजे से अगले दिन सुबह 6:13 बजे तक हैं। इस दिन का राहुकाल दोपहर 1:59 बजे से दोपहर 3:32 बजे तक है।  राहुकाल को छोड़कर ‘महानवमी’ के दिन सुबह में आप कभी भी कन्या पूजा कर सकते हैं। इस दिन शुभ-उत्तम मुहूर्त सुबह 6:14 से 7:47 बजे तक हैं।

नवरात्रि में कन्या पूजा का भी नियम हैं। कन्या पूजा में आप 1 से लेकर 9 कन्याओं का पूजन कर सकते हैं। इसमें भी अलग अलग उम्र की कन्याओं की पूजा करने से अलग-अलग मनोकामनाएं पूरी होती हैं। एक से लेकर 9 तक की संख्या की कन्याओं की पूजा से 9 वरदान मिलते हैं।

मान्यताओं के अनुसार, 1 कन्या की पूजा से ऐश्वर्य, 2 कन्या पूजा से भोग, 3 कन्या पूजा से पुरुषार्थ, 4-5 कन्या पूजा से बुद्धि और विद्या, 6 कन्या पूजा से कार्य में सफलता, 7 कन्या पूजा से परम पद, 8 कन्या पूजा से अष्टलक्ष्मी और 9 कन्याओं की पूजा से सभी ऐश्वर्य प्राप्त होता हैं।  

कन्या पूजा की विधि

‘दुर्गा अष्टमी’ या महानवमी के दिन जब भी कन्या पूजा होती है, उस दिन सुबह स्नान के बाद मां दुर्गा की पूजा कर लें। फिर कन्याओं को पूजन के लिए घर पर आमंत्रित करें। उनके साथ एक छोटे बालक को बटुक भैरव के रूप में पूजते हैं, इसलिए उन्हें भी आमंत्रित करें।  

कन्याओं के आगमन पर पानी से उनके चरण पखारे और उनको एक आसन पर बैठाएं। फिर, अक्षत, फूल, चंदन आदि से उनकी पूजा करें। फूलों की माला और चुनरी अर्पित करें। फिर उनको हलवा, काला चना, पूड़ी, खीर, नारियल आदि मिठाई का भोग लगाएं। उनसे भोजन करने का निवेदन करें।  

भोजन के बाद उनको उपहार और दक्षिण दें। फिर पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लें, ताकि नवरात्रि का व्रत पूर्ण हो और आपकी मनोकामनाएं सिद्ध हों। इसके बाद कन्याओं को सहर्ष विदा करें।