Anant Chaturdashi

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    -सीमा कुमारी 

    हिंदू धर्म में  ‘अनंत चतुर्दशी’ तिथि का बहुत अधिक महत्व है। ‘अनंत चतुर्दशी’ का पावन पर्व हर साल भादो महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। भारत के कई राज्यों में यह पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल ‘अनंत चतुर्दशी’ (Anant Chaturdashi) का पावन पर्व 19 सितंबर,अगले रविवार को पड़ रहा है।

    मान्यताओं के मुताबिक, ‘अनंत चतुर्दशी’ के दिन भगवान विष्णु की विधि पूर्वक पूजन करने से दीर्ध आयु तथा अनंत जीवन वाले मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही ‘अनंत चतुर्दशी’ के दिन ‘गणेशोत्सव’ का समापन भी होता है। इस दिन भक्त गणपति बप्पा की मूर्तियों का विसर्जन करते हैं। आइए जानें ‘अनंत चतुर्दशी’ पर्व की तिथि, मुहूर्त और पूजन विधि और इसका महत्व-

    शुभ मुहूर्त

    ‘अनंत चतुर्दशी’ तिथि आरंभ :

    19 सितंबर 2021, रविवार 6:07 सुबह से

    20 सितंबर 2021, सोमवार 5:30 सुबह तक

    पूजन-विधि

    मान्यताओं के अनुसार, इस दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर पूजा स्थल पर कलश स्थापित करें। इसके बाद कलश पर भगवान विष्णु की तस्वीर भी लगाएं। एक धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर अनंत सूत्र बनाएं, इसमें चौदह गांठ लगी होनी चाहिए। इसे भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने रखें। अब भगवान विष्णु और ‘अनंत-सूत्र’ की पूजा करें और

    “अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव। अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।’ मंत्र का जाप करें। इसके बाद अनंत सूत्र को बाजू में बांध लें। माना जाता है कि इस सूत्र को धारण करने से संकटों का नाश होता है ।

    महत्व

    सनातन हिन्दू धर्म में अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्व है। इस दिन श्रीहरि भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है। जिन्होंने ऋष्टि की रचना में 14 लोकों यानि तल, अतल, वितल, सुतल, सलातल, रसातल, पाताल, भू, भव:, स्व:, जन, तप, सत्य मह की रचना की थी। इन समस्त लोकों की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने अनंत रूप धारण किए थे, जिससे वह अनंत प्रतीत होने लगे। इसलिए इस व्रत को अनंत चतुर्दशी व्रत कहा जाता है। विधि- विधान से इस व्रत का पालन करने से मनुष्य के सभी कष्टों का निवारण होता है।

    पौराणिक कथाओं के अनुसार लगातार 14 वर्षों तक ‘अनंत चतुर्दशी’ का व्रत करने से मनुष्य को विष्णु लोक की प्राप्ति होती है। इस व्रत को लेकर मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखने के साथ भगवान ‘विष्णुसहस्त्रनाम स्तोत्र’ का पाठ करता है। उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। अनंत चतुर्दशी व्रत की शुरुआत सर्वप्रथम महाभारत काल से हुई थी।