कब है धनतेरस? जानिए पूरी पूजा विधि और सामग्री लिस्ट

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दिवाली का पांच दिवसीय महापर्व धनतेरस से शुरू हो जाता है। धनतेरस का त्यौहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह त्यौहार 13 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान धनवंतरी और लक्ष्मी माता की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन सोना, चांदी, बर्तन और नए सामान खरीदना भी शुभ मन जाता है। भगवान धनवंतरी देवताओं के चिकित्सक हैं इसलिए इन्हें चिकित्सा का देवता भी माना जाता है। इनकी पूजा करने से शरीर के रोग नष्ट होते हैं। 

वहीं मान्यता है कि धनतेरस पर विधि-विधान से पूजा करने पर आरोग्य और सुख-समृद्धि बनी रहती है। पूरे साल घर में मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है। साथ ही भगवान धनवंतरी की कृपा से आप निरोग रहते हैं। तो आइए जानते हैं धनतेरस की पूजा-विधि और पूजा में लगने वाली सामग्री….

धनतेरस तिथि और पूजा मुहूर्त-

  • धनतेरस तिथि आरंभ- 12 नवंबर रात 09:30 बजे से शुरू हो रहा है।
  • धनतेरस तिथि समाप्त-13 नवंबर शाम को 05:59 मिनट पर समाप्त हो जाएगा।
  • धनतेरस पूजा समय- शाम 05:28 मिनट से लेकर 05:59 तक है। 

पूजा सामग्री-

  • लक्ष्मी-गणेश के चांदी के सिक्के
  • पूजा की सुपारी 5
  • पान के पत्ते, कटे-फटे न हो।
  • लौंग, कपूर
  • रोली और अक्षत
  • मां लक्ष्मी को अर्पित करने के लिए 21 कमलगट्टे
  • प्रसाद के लिए मिष्ठान, पीले और सफेद रंग की मिठाई
  • फूल-माला
  • नारियल, मां लक्ष्मी को अर्पित करने के लिए
  • गंगा जल
  • फलों में शरीफा सबसे उत्तम रहता है। 
  • कुछ पैसों के सिक्के
  • धूप-दीप
  • चंदन, हल्दी, शहद आदि।

पूजा विधि-

धनतेरस के शुभ मुहूर्त में भगवान धनवंतरी, मां लक्ष्मी के साथ कुबेर जी की तस्वीर को एक पटरी पर स्थापित करें। फिर उन्हें घी का दीपक प्रज्वलित करें। उसके बाद चंदन से तिलक करें। पूजा के समय कुबेर जी के मंत्र “ॐ ह्रीं कुबेराय नमः” का जाप ज़रूर करें। इसके अलावा धनवंतरी स्तोत्र का पाठ भी करें। भगवन धनवंतरी को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं और कुबेर जी को सफेद मिठाई का भोग लगाएं। मां लक्ष्मी के समक्ष भी दीपक जलाएं और उन्हें तिलक करें। मां लक्ष्मी को कमलगट्टे अर्पित करना न भूलें। भगवान गणेश और मां लक्ष्मी को फूल और फल भी अर्पित करें। उसके बाद मिष्ठान का भोग लगाएं और बाद में भगवान गणेश सबसे पहले आरती कर, सारे भगवन की आरती करें। 

यम के नाम का दीप जलाने की विधि-

धनतेरस के दिन याम के नाम से भी दीप जलाया जाता है। इसके लिए किसी पटरे पर स्वास्तिक का चिह्न बनाएं और आटे या मिट्टी का दीपक प्रज्वलित करें। दीपक पर तिलक भी ज़रूर करें। साथ ही चावल, चीनी और फूल भी अर्पित करें। घर के लोगों का तिलक करें। दीपक की बाती को दक्षिण दिशा की ओर करके दरवाजे पर रख दें। क्योंकि यह दीपक यम देवता के लिए जलाया जाता है और दक्षिण दिशा यम की दिशा होती है।