पितृपक्ष के दिनों में घर में पूजा करें या न करें, ज़रूर जानें

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    -सीमा कुमारी

    हिंदू धर्म में पितृपक्ष यानी श्राद्ध का बड़ा महत्व है। पितृपक्ष को लेकर तरह-तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं। शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष में कोई भी मांगलिक कार्य या अनुष्ठान नहीं किया जाता है। ये समय पितरों की आत्मा की शांति के लिए समर्पित होता है। मान्यताओं के अनुसार श्राद्ध के 16 दिनों तक कोई भी नए सामान खरीदने की मनाही होती है। ऐसा करने से हमारे पुरखे नाराज हो सकते हैं।खरीददारी के अलावा बहुत से लोगों के मन में यह सवाल भी उठता है कि पितृपक्ष के दौरान भगवान की पूजा करना चाहिए या नहीं, आइए जानें-

    शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष के दौरान पितर पृथ्वी पर वास करते हैं। ऐसे में इस दौरान पितरों की पूजा करना बेहद कल्याणकारी माना गया है। लेकिन क्या पितृपक्ष के दौरान देवी-देवता की पूजा करनी चाहिए या नहीं? शास्त्रों के अनुसार पितर पक्ष में प्रतिदिन की तरह ही पूजा करनी चाहिए। हालांकि इस दौरान पितर हमारे पूजनीय अवश्य हैं लेकिन ईश्वर से उच्च नहीं है। इसीलिए इस दौरान हमें देवी-देवता की पूजा करनी चाहिए।

    वास्तु-शास्त्र के मुताबिक, घर के मंदिर में कभी भी देवी-देवताओं की तस्वीर के साथ पूर्वजों या दिवगंत परिजनों की तस्वीर न लगाएं। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपके घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।

    वास्तु-शास्त्र के अनुसार पितरों की तस्वीर का मुख हमेशा घर में दक्षिण दिशा की तरफ रखें। इसके अलावा, घर में पितरों की एक से अधिक तस्वीर नहीं होनी चाहिए।

    पितृपक्ष के दौरान पूजा करने की कोई विशेष विधि या कोई शुभ मुहूर्त नहीं होता। आप अन्य दिनों की तरह ही श्राद्ध में भी नियमित रूप से सुबह-शाम देवी-देवताओं की पूजा कर सकते है।मान्यता है कि इस दौरान पूजा-पाठ बंद करने से पितरों के निमित्त किए गए श्राद्ध का पूर्ण फल नहीं मिलता। इसलिए पितृ पक्ष में पूजा-पाठ करते रहें।