क्यों मनाई जाती है विजयादशमी के दिन शिर्डी के साईं बाबा की पुण्यतिथि? जानें पूरी जानकारी यहां

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    -सीमा कुमारी

    प्रतिवर्ष ‘विजयादशमी’ यानी, ‘दशहरा’ के दिन साईं बाबा की पुण्यतिथि मनाई जाती है। शिर्डी के साईं बाबा के बारे में कौन नहीं जानता है। जानकारों का मानना है कि, साईं बाबा एक आध्यात्मिक गुरू, योगी और फ़कीर थे। साईं बाबा को कोई चमत्कारी पुरुष तो कोई दैवीय अवतार मानता है, लेकिन, कोई भी उन पर यह सवाल नहीं उठाता कि वह हिन्दू थे या मुस्लिम। साईं बाबा ने जाति-पाति तथा धर्म की सीमाओं से ऊपर उठकर एक विशुद्ध संत की तस्‍वीर प्रस्‍तुत की थी। वे सभी जीवात्माओं की पुकार सुनने व उनके कल्‍याण के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुए थे।

    साईं बाबा समूचे भारत के हिन्दू-मुस्लिम श्रद्धालुओं तथा अमेरिका और कैरेबियन जैसे दूरदराज़ के क्षेत्रों में रहने वाले कुछ समुदायों के भी प्रिय थे। 15 अक्टूबर 1918 को विजयादशमी के दिन दोपहर करीब 2.30 बजे साईं बाबा ने महासमाधि ली थी। इस साल शिरडी के साई बाबा की पुण्यतिथि 15 अक्टूबर, शुक्रवार को पड़ रही है। शिरडी में साईं बाबा की पुण्यतिथि उत्सव को तीन दिनों तक हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु शिरडी पहुंचते हैं और उन्हें महाप्रसाद वितरित किया जाता है।

    उत्सव के पहले दिन एक भव्य जुलूस को साईं बाबा की छवि और उनके भक्त हेमदपंत द्वारा लिखित साईं सच्चरित्र के साथ निकाला जाता है। मुख्य दिन गोदावरी नदी का पानी श्री साईं बाबा के स्नान के लिए लाया जाता है। उत्सव के अंतिम दिन के दौरान मुख्य मंदिर 24 घंटे के लिए खुला रहता है। ‘विजयादशमी’ पर ब्राह्मण-भोज और दक्षिणा का आयोजन भी किया जाता है। उत्सव के आखिरी दिन गांव के सभी लोगों और भक्तों के बीच मुफ्त में भोजन वितरित किया जाता है।

    इस साल साईं बाबा की 103वीं पुण्यतिथि मनाई जाएगी। हालांकि साईं बाबा पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु शिरडी पहुंचते हैं। आइए जानें शिरडी साईं बाबा पुण्यतिथि पर आयोजित होने वाले तीन दिवसीय उत्सव की तिथियां और कार्यक्रम के बारे में –

    साई बाबा पुण्यतिथि उत्सव का पूरा शेड्यूल

    साईं बाबा पुण्यतिथि कार्यक्रम- 14 अक्टूबर 2021 से 17 अक्टूबर 2021 तक

    साई बाबा महासमाधि दिवस- 15 अक्टूबर 2021

    14 अक्टूबर 2021- पहले दिन का कार्यक्रम

    पहले दिन के उत्सव की शुरुआत ‘काकड़ आरती’  (Kakad Aarti) से की जाएगी। इस दिन साईं बाबा की छवि और पोथी का जुलूस निकाला जाएगा। द्वारकामाई में साईं सच्चरित्र का अखंड पारायण किया जाएगा। आरती और कीर्तन के साथ कलाकारों का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। रात में साईं बाबा की पालकी शोभायात्रा निकाली जाएगी। पहले दिन द्वारकामाई मंदिर रात भर परायण के लिए खुला रहेगा।

    उत्सव के आखिरी दिन सबसे पहले साईं बाबा का पवित्र स्नान होगा। गुरु स्थान मंदिर में रुद्राभिषेक आयोजित किया जाएगा। गोपालकला कीर्तन और दही हांडी कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। आरती और प्रसाद वितरण किया जाएगा। कलाकारों का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।

    शिरडी में महासमाधि उत्सव में पूजा, भजन व सार्वजनिक पारायणी (भक्ति शास्त्रों का पाठ), पालकी और रथ यात्रा शामिल है। इस दौरान एक दिन समाधि मंदिर पूरी रात खुला रहता है और उस दौरान भजन व कव्वाली गाए जाते हैं। इस साल तीन दिवसीय उत्सव का आयोजन किया जाएगा, जिसमें श्री साई बाबा काकड़ आरती, श्री साई बाबा पोथी के चित्रण की प्रक्रिया, द्वारकामाई में श्री साई सतचरित्र का अखंड पारायण, रथ जुलूस जैसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान शामिल हैं।

    साईं बाबा अपनी घोषणा के अनुरूप 15 अक्टूबर, 1918 को ‘विजयादशमी’ के विजय-मुहू‌र्त्त में शारीरिक सीमा का उल्लंघन कर निजधाम प्रस्थान कर गए। इस प्रकार ‘विजयादशमी’ उनका महासमाधि पर्व बन गया। कहते हैं कि आज भी सच्चे साईं-भक्तों को बाबा की उपस्थिति का अनुभव होता है।