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सीमा कुमारी-

‘रमजान’ (Ramadan 2023)का मुबारक महीना 24 मार्च यानी शुक्रवार से शुरू हो चुका है। यह महीना मुस्लिम समाज के लिए बहुत ही खास होता है। इस पूरे महीने मुस्लिम लोग (Muslim) रोजा रखते हैं और अल्लाह की इबादत करते है। मुसलमानों के लिए रमजान इस्लामिक कैलेंडर का नौंवा महीना होता है। इसे बहुत ही पवित्र माना जाता है। रमजान खत्म होने के बाद ईद-उल-फितर मनाई जाती है। रमजान को रमादान, कुरान का महीना और रोजे का महीना भी कहा जाता है। आइए जानें इस्लाम धर्म के पाक महीने ‘रमजान’ के बारे में-

मजहब-ए-इस्लाम (Islam) मे रमज़ान महीने की बड़ी-बड़ी फजीलते बयान की गई है।  रमज़ान एक ऐसा बा-बरकत महीना जिसका इंतेजार साल के ग्यारह महीने हर मुसलमान (Muslim) को रहता है। इस्लाम के मुताबिक़, इस महीने के एक दिन को आम दिनों की हज़ार साल से ज़्यादा बेहतर (खास) माना गया है। मुस्लिम समुदाय के सभी लोगों पर रोजा फर्ज होता है, जिसे पूरी दुनिया में दूसरे नंबर की आबादी रखने वाला मुसलमान बड़ी संजीदगी से लागू करने की फिक्र रखते है। माह-ए-रमज़ान में रखा जाने वाला रोज़ा हर तंदुरुस्त (सेहतमंद) मर्द और औरत पर फर्ज होता है। रोज़ा छोटे बच्चों, बीमारों और सोच-समझ ना रखने वालों पर लागू नहीं होता है।

रोज़े के मायने सिर्फ यही नहीं है कि, इसमें सुबह से शाम तक भूखे-प्यासे रहो। बल्कि रोज़ा वो अमल है, जो रोज़दार को पूरी तरह से पाकीज़गी का रास्ता दिखाता है। रोजा इंसान को बुराइयों के रास्ते से हटाकर अच्छाई का रास्ता दिखाता है। महीने भर के रोजों को जरिए अल्लाह चाहता है कि इंसान अपनी रोज़ाना की जिंदगी को रमज़ान के दिनों के मुताबिक़ गुज़ारने वाला बन जाए। रोज़ा सिर्फ ना खाने या ना पीने का ही नहीं होता, बल्कि रोज़ा शरीर के हर अंग का होता है। इसमें इंसान के दिमाग का भी रोज़ा होता है, ताकि इंसान के ख्याल रहे कि उसका रोज़ा है, तो उसे कुछ गलत बातें गुमान नहीं करनी। उसकी आंखों का भी रोज़ा है, ताकि उसे ये याद रहे कि इसी तरह आंख, कान, मुंह का भी रोज़ा होता है ताकि वो किसी से भी कोई बुरे अल्फ़ाज़ ना कहे और अगर कोई उससे किसी तरह के बुरे अल्फ़ाज कहे तो वो उसे भी इसलिए माफ कर दे कि उसका रोज़ा है। इस तरह इंसान के पूरे शरीर का रोज़ा होता है, जिसका मक़सद ये भी है कि इंसान बुराई से जुड़ा कोई भी काम ना करें।

रमज़ान का मक़सद इंसान को बुराइयों के रास्ते से हटाकर अच्छाई के रास्ते पर लाना है।  इसका मक़सद एक दूसरे से मोहब्बत, प्रेम, भाइचारा और खुशियां बांटना है। रमज़ान का मक़सद सिर्फ यही नहीं होता कि एक मुसलमान सिर्फ किसी मुसलमान से ही अपने अच्छे अख़लाक़ रखे। बल्कि मुसलमान पर ये भी फर्ज है कि वो किसी और भी मज़हब के मानने वालों से भी मोहब्बत, प्रेम, इज़्ज़त, सम्मान, अच्छा अख़लाक़ रखे। ताकि दुनिया के हर इंसान का एक दूसरे से भाईचारा बना रहे। गरीब मजलूम का ख्याल रखें।

रमजान में रोजेदारों को जरूर करने चाहिए ये काम

  • रमजान बेहद मुबारक महीना होता है। इसमें हर मुसलमान पर रोजा रखना फर्ज बताया गया है।  
  •  रमजान में हर मुसलमान को रोजाना पांच वक्त की नमाज जरूर अदा करनी चाहिए।  
  • इबादत के दौरान रोजेदारों को अपने परिवार की खुशहाली की दुआ मांगनी चाहिए।  
  • रमजान के पाक महीने में गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए।