मां का तीसरा स्वरूप ‘देवी चंद्रघंटा’ की ऐसे करें पूजा, जानिए मुहूर्त और विशेष मंत्र

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    -सीमा कुमारी

    नवरात्रि के तीसरा दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप ‘देवी चंद्रघंटा’ (Chandraghanta) की पूजा की जाती है। शारदीय नवरात्रि में ‘मां चंद्रघंटा’ की पूजा (Chandraghanta Puja) 28 सितंबर, बुधवार को की जाएगी। माता चंद्रघंटा का स्वरूप सौम्य है. इनके सिर पर घंटे के आकार का चंद्रमा है, इसलिए इन्हें ‘चंद्रघंटा’ कहा जाता है।

    आध्यात्मिक पारीपरिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्रघंटा देवी की पूजा करने से ऐश्वर्य और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ ही दांपत्य जीवन में भी खुशहाली आती है। आइए जानें शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा कैसे करें और इस दिन का मंत्र, आरती और विशेष रंग कौन सा है।

    मां चंद्रघंटा की पूजन-विधि

    नवरात्रि के तीसरे दिन विधिपूर्वक माता चंद्रघंटा की पूजा का विधान है। इस दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होने के बाद लाल रंग के कपड़े पहनने चाहिए। इसके बाद गंगाजल से शुद्ध होकर माता की पूजा शुरू करनी चाहिए। माता चंद्रघंटा की पूजा में ‘ओम् चंद्रघंटायै नम:’ मंत्र का जाप करना चाहिए। साथ ही, माता को अक्षत, सिंदूर, धूप-दीप, और लाल रंग के फूल चढ़ाएं। इस दिन मां चंद्रघंटा को दूध से बनी हुई मिठाई का भोग भी लगाया जाता है।नवरात्रि के हर दिन नियम से ‘दुर्गा चालीसा’ और ‘दुर्गा आरती’ करें। 

    मां चंद्रघंटा की पूजा में श्रद्धालुओं को सुनहरे या पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए।

    पुष्प चढ़ाएं 

    मां को सफेद कमल और पीले गुलाब की माला अर्पण करें।

    भोग लगाएं 

    मां को केसर की खीर और दूध से बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए। पंचामृत, चीनी और मिश्री भी मां को अर्पित करनी चाहिए।

     

    मां चंद्रघंटा की पूजा के शुभ मुहूर्त

    • ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 4:36 बजे से सुबह 5:24 बजे तक।
    • विजय मुहूर्त-  दोपहर 2 बजकर 11 मिनट से लेकर दोपहर 2:59 बजे तक
    • गोधूलि मुहूर्त- शाम 5:59 बजे से शाम 6:23 बजे तक
    • अमृत काल- रात 9:12 बजे से रात 10:47 बजे तक
    • रवि योग- 29 सितंबर सुबह 5:52 बजे से सुबह 6:13 बजे तक

    मां चंद्रघंटा की आराधना में इन मंत्रों का करें जाप 

    पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।

    प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।

     

    ओम् देवी चन्द्रघण्टायै नमः

     

    ऐं श्रीं शक्तयै नम:

     

    या देवी सर्वभू‍तेषु मां चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता ।

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।

     

    आह्लादकरिनी चन्द्रभूषणा हस्ते पद्मधारिणी ।

    घण्टा शूल हलानी देवी दुष्ट भाव विनाशिनी ।।