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    -सीमा कुमारी

    इस वर्ष की अंतिम ‘सोमवती अमावस्या’ (Somvati Amavasya) 30 मई दिन सोमवार को मनाई जाएगी। ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, ‘सोमवती अमावस्या’ के प्रात: पवित्र नदियों में स्नान करने और दान करने से पुण्य मिलता है। इस दिन देवों के देव् महादेव की पूजा के लिए भी शुभ माना जाता है, वहीं पीपल के पेड़, पितरों आदि की भी पूजा इस दिन करते हैं। आइए काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं ‘सोमवती अमावस्या’ के उपायों के बारे में-

    ज्योतिष-शास्त्र के मुताबिक, सोमवती अमावस्या के शुभ अवसर पर पीपल के पेड़ की पूजा करने, उसे जल देने और उसकी परिक्रमा करने का विधान हैं। इसमें देवी देवाताओं का वास होता हैं। ऐसा करने से सुख समृद्धि बढ़ती हैं।  

    इस दिन शिव पूजा करने और नदी में नाग नागिन का जोड़ा पूजन के बाद प्रवाहित करने से कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिलती हैं। हालांकि बहुत से ज्योतिषाचार्य कालसर्प दोष में विश्वास नहीं रखते हैं।

    इस दिन पितरों को प्रसन्न करें। उनकी पूजा करें। उनके आशीर्वाद से संतान वृद्धि का योग बनता है। वे खुश होकर अपने वंश की बढ़ोत्तरी का आशीष देते  हैं।

    इस दिन आप तुलसी के पौधे की पूजा करें और कम से कम 108 बार उसकी परिक्रमा करें। ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और दरिद्रता दूर होती हैं। इसके अलावा, इस दिन स्नान के बाद विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा करें। उनको सुपारी अर्पित करें। उनके लिए घी का दीपक जलाएं। उनकी कृपा से आपकी मनोकामनाएं पूरी होंगी। कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर होंगी।

    इस दिन स्नान के बाद विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा करें. उनको सुपारी अर्पित करें। उनके लिए घी का दीपक जलाएं। उनकी कृपा से आपकी मनोकामनाएं पूरी होंगी। कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर होंगी।