Hartalika Teej 2021
File Photo

सीमा कुमारी

नई दिल्ली: सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य देने वाली ‘हरतालिका तीज’ (Hartalika Teej 2023) का पावन व्रत इस वर्ष  आज यानी 18 सितंबर, सोमवार के दिन है। ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, ये व्रत करवा चौथ से ज्यादा कठिन होता है। कहते हैं, माता पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए जंगल में रहकर सालों तक कठिन तपस्या की थी और ‘हरतालिका तीज’ के दिन भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर देवी को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।

‘हरतालिका तीज व्रत’ बेहद प्रभावशाली है, लेकिन इस व्रत के कुछ नियम हैं, जिनका पालन करना बेहद जरूरी है। अगर आप भी पहली बार हरतालिका तीज व्रत रख रही हैं, तो ये खास नियम, पूजन विधि अवश्य जान लें। इनके बिना व्रत अधूरा माना जाता है। आइए जानें इस बारे में –

कैसे रखें ‘हरतालिका तीज’ व्रत

ज्योतिषियों के मुताबिक, अगर आप पहली बार हरतालिका तीज व्रत रखने वाली हैं तो अपनी मान्यता अनुसार ही व्रत का संकल्प लें। कहते हैं पहली बार जैसा व्रत का संकल्प लिया जाता है, आजीवन उसे वैसे ही निभाना पड़ता है। ध्यान रहे कि निर्जला या फलाहार व्रत का संकल्प लें तो उसे पूरा अवश्य करें।

कहते है अगर ‘हरतालिका तीज’ के दौरान महिलाओं को मासिक धर्म हो जाए तो उन महिलाओं को दूर से ही भगवान की कथा सुननी चाहिए। भगवान को नहीं छूना चाहिए, व्रत बताए गए समय अनुसार ही खोलें।

इस व्रत में मिट्टी के शंकर-पार्वती जी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। फुलेरा बांधा जाता है। इसके अलावा, कथा भी सुनी जाती है। चारों प्रहर में आखिरी पूजा के बाद माता पार्वती को चढ़ाया सिंदूर अपने माथे पर लगाएं और सुहाग की सामग्री ब्राह्मणी को दान कर दें।

यह व्रत 24 घंटे के लिए रखा जाता है। इस व्रत की शुरुआत भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि के सूर्योदय से होती है और अगले दिन चतुर्थी के सूर्योदय पर ये समाप्त होता है।

ज्योतिषियों का मानना है कि, एक बार हरतालिका तीज का व्रत शुरू कर दिया तो इसे बीच में छोड़ा नहीं जा सकता। व्रती के जीवनकाल तक इसका पालन करना पड़ता है। अगर किसी कारणवश ये व्रत न कर पाएं तो इसका उद्यापन कर दें और परिवार की दूसरी महिला को ये व्रत सौंप दें ताकि क्रम बना रहे।

हरतालिका तीज का पावन व्रत का पारण चतुर्थी तिथि यानी गणपति उत्सव के पहले दिन सूर्योदय के बाद ही किया जाता है। व्रत खोलने से पहले स्नान कर विधिवत शिव-पार्वती की पूजा करें। इसके बाद पूजन सामग्री सहित मिट्टी के शिवलिंग का विसर्जन करें और फिर प्रसाद खाकर ही व्रत खोलें।

इस दिन सुहागिनों को 16 श्रृंगार कर शिव-पार्वती की पूजा करनी चाहिए। मेहंदी जरुर लगाएं। मान्यता है कि इससे भगवान भोलेनाथ जल्द प्रसन्न होकर समस्त मनोकामना पूरी करते हैं।