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    -सीमा कुमारी

    5 अक्टूबर, बुधवार को ‘दशहरा’ (Dussehra) का महापर्व है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन शमी के पेड़ की पूजा का भी विधान है। कहा जाता है कि जब लंकापति रावण सीता जी का हरण करके ले गया तो भगवान श्रीराम ने शमी के वृक्ष के सामने झुक कर अपनी जीत के लिए कामना की थी। 

    तभी से कहा जाता है कि शमी की पत्तियों का स्पर्श करना बहुत शुभ माना जाता है। इससे सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। शमी के पेड़ का संबंध शनि से भी है। ऐसा कहा जाता है कि शनिदेव को शमी की पत्तियां चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं। शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैया वालों को दशहरा के लिए शमी के पेड़ की पूजा की जाती है।

    ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, शनि की साढ़ेसाती और ढैया वालों को शनिवार और दशहरा के दिन घर में शमी का पौधा लगाना चाहिए। इस दिन यह पौधा लगाने से शनिदेव की कृपा होती है और मकर, कुंभ, धनु, मिथुन, तुला वालों को शनि की साढ़ेसाती और ढैया के प्रभावों से भी राहत मिलेगी।

    इसलिए इन सभी राशिवालों को दशहरा के दिन या शनिवार के दिन सुबह जल्‍दी स्‍नान करें, स्वच्छ कपड़े पहनकर साफ गमले में स्‍वच्‍छ स्‍थान पर साफ मिट्टी में शमी का पेड़ लगाएं। इसके अलावा जो उपाय करना है उसके लिए इसकी जड़ में एक सुपारी और एक रुपये का सिक्का भी  पहले से ही दबा दें। यह उपाय शनिदेव को प्रसन्न करेगा।  इसमें हल्दी और गंगाजल भी मिला लें। यह पेड़ जितना फलेगा, फूलेगा, आपकी उन्नति इसी पर निर्भर करेगी।

    ऐसी मान्यता है कि शमी का पेड़ घर मे लगाने से देवी देवताओं की कृपा हमेशा बनी रहती है। साथ ही साथ शमी का पेड़ शनि देव के गुस्से से भी रक्षा करता है। शमी की पत्तियों को बांटने से घर में सुख-समृद्धि  का वास होता है। पुराणों में शमी के वृक्ष की महिमा का बहुत जिक्र किया गया है।