
सीमा कुमारी
नवभारत डिजिटल टीम: सनातन धर्म में ‘पितृ पक्ष’ (Pitru Paksha) का विशेष महत्व है। पितृपक्ष, जिसे श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है। 16 दिनों की अवधि है जो अनंत चतुर्दशी के बाद शुरू होती है। पितृ पक्ष अश्विन महीने में कृष्ण पक्ष या चंद्रमा के घटते चरण के दौरान पूर्णिमा तिथि या पूर्णिमा के दिन शुरू होता है। इस साल 29 सितंबर, शुक्रवार से ‘पितृपक्ष’ (Pitru Paksha 2023) की शुरुआत हो रही है और 14 अक्टूबर को इसका समापन होगा।
ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, पितृ पक्ष के 16 दिनों में पितरों का श्राद्ध करने का काम किया जाता है। यह कार्य पितरों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष के दौरान हमारे पूर्वज मृत्युलोक में हमसे मिलने आते हैं और अपने परिजनों के बीच रहकर अन्न और जल ग्रहण करते हैं। आइए जानें पितृ पक्ष में कौए को खाना खिलाने का धार्मिक महत्व।
पौराणिक कथा के अनुसार, जब एक बार कौए ने माता सीता को चोंच मार दी थी। जब प्रभु श्री राम ने क्रोध में आकर बाण के प्रहार से कौए की आंख फोड़ दी थी। लेकिन, जब कोए ने क्षमा याचना की तो, राम जी ने उसे आशीर्वाद दिया कि तुम्हें भोजन करने से पितृ प्रसन्न होंगे। तभी से पितृपक्ष के दौरान कौए को भोजन कराने की प्रथा चली आ रही है।
कौए को यम का प्रतीक माना गया है। कौए के बारे में ये माना जाता है कि वह शुभ-अशुभ संकेत भी देते हैं। इसी मान्यता को ध्यान में रखते हुए पितृपक्ष में श्राद्ध का एक भाग कौए को भी दिया जाता है।
श्राद्ध-पक्ष में कौए का बड़ा ही महत्व है। मान्यता है कि श्राद्ध-पक्ष के दौरान यदि कौआ आपके हाथों दिया गया भोजन ग्रहण कर ले, तो इसका अर्थ है पितृ आपसे प्रसन्न हैं। यदि इसके विपरीत कौए आपका भोजन ग्रहण नहीं करते हैं, तो इसका अर्थ है कि आपके पूर्वज आपसे नाराज हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, हमारे पितृ कौए के रूप में धारण कर हमसे मिलने आते हैं। इसलिए भी पूर्वजों के लिए बनाया गया भोजन कौए को अर्पित किया जाता है। कौवा अगर अपने भोजन का अंश ग्रहण करने के बाद उड़ जाए तो माना जाता है कि आपके पूर्वज आपको आशीर्वाद देकर गए हैं।
- पितृ पक्ष में कौए को खाना खिलाने से मिलती है पितृ-दोष से मुक्ति
- पितृपक्ष के दौरान कौए को अन्न जल देने से पितरों को अन्न मिलता है।
- अगर कौआ आपके द्वारा दिया गया अन्न खाता है तो यमराज प्रसन्न होते हैं।
- कौए को भोजन कराने से सभी तरह का कालसर्प और पितृ-दोष दूर होता है।