कब है चैत्र अमावस्या? जानिए सही डेट, पूजा मुहूर्त एवं महत्व

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    सीमा कुमारी

    नई दिल्ली: चैत्र महीने की अमावस्या यानी चैत्र अमावस्या (Chaitra Amavasya) इस साल 01 अप्रैल को है। सनातन हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन स्नान, दान तथा अन्य धार्मिक कार्य किए जाते हैं। हर अमावस्या की तरह चैत्र अमावस्या के दिन पूर्वजों के पूजन का विशेष विधान है। ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती हैं। अमावस्या को कालसर्प दोष और पितृ दोष से मुक्ति के लिए कई सारे उपाय भी किए जाते है। आइए जानें चैत्र अमावस्या कब है, उसकी तिथि एवं मुहूर्त क्या है?

    शुभ- मुहूर्त

    पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का प्रारंभ 31 मार्च दिन गुरुवार को दोपहर 12 बजकर 22 मिनट पर हो रहा है और इस तिथि का समापन 01 अप्रैल दिन शुक्रवार को दिन में 11 बजकर 53 मिनट पर हो रहा है। उदयातिथि के आधार पर चैत्र अमावस्या 01 अप्रैल को है।

    01 अप्रैल को अमावस्या का स्नान और दान होगा। चैत्र अमावस्या के दिन नदी में स्नान और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन पितरों के लिए पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध कर्म किए जाते हैं,ताकि पितरों की आत्मा तृप्त हो सके और अपने वंश को सुखी जीवन का आशीर्वाद दें।  

    अमावस्या के दिन पितरों की आत्म तृप्ति के लिए ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है।  इन कार्यों को करने से पितृ दोष भी दूर होता है। चैत्र अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए और जल अर्पित करने के बाद दीपक जलाना चाहिए।

    ब्रह्म एवं इंद्र योग में चैत्र अमावस्या

    चैत्र अमावस्या के दिन ब्रह्म योग सुबह 09 बजकर 37 मिनट तक है, उसके बाद इंद्र योग का प्रारंभ होता है। ये दोनों ही योग मांगलिक कार्यों के लिए शुभ होते हैं। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग भी बन रहा है। ये योग सुबह 10:40 बजे शुरु हो रहे हैं और अगले दिन सुबह 06:10 बजे तक रहेंगे। ये दोनों ही कार्यों को सिद्ध करने वाले हैं। इस योग को शुभ कार्य करने से सफलता प्राप्त होती है।