Crows
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    भारतीय समाज में पशु-पक्षी को शुभ-अशुभ माना जाता है। लोगों की हर किसी को लेकर अलग ही मान्यता है। जैसे माना जाता है कि कौए का कांव-कांव करना अच्छा नहीं होता है। कौए का की आवाज लोगों को पसंद नहीं आती है। कौवे की गिनती गंदे पक्षियों में होती है। इसलिए लोग कौए को अपने आसपास भी पसंद नहीं करते है। पुरे साल जिस कौए के आसपास भी भटकना लोग पसंद नहीं करते है। वहीं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष यानी श्राद्ध के दौरान 15 दिन तक कौओं को काफी सम्मान के साथ देखा जाता है।

    मान्यता है कि कौआ और पीपल का पेड़ पूर्वजों का प्रतीक होते हैं। श्राद्ध के दौरान इन्हें जो कुछ भी अर्पण किया जाता है। वह पूर्वजों तक पहुंचता है। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। इसीलिए इन श्राद्ध के इन 15 दिनों को कौओं को मेहमान माना जाता है।

    शुभ माना जाता है कौए 

    पितृपक्ष के दौरान मान्यता है कि जब कौए घर की छत पर या मुंडेर पर कांव-कांव करता है, तो इसे शुभ माना जाता है। यह भी माना जाता है कि कौए के कांव-कांव बोलना घर में मेहमानों के आने का संकेत होता है। 

    कौए को लेकर यह भी माना जाता है कि जब कुंवारी लड़की के ऊपर से कौआ चला जाये, तो उसकी शादी जल्दी हो जाती है और विवाहित महिला के ऊपर से अगर कौआ चला जाये तो उसकी गोद जल्दी भर जाती है। 

    पितृपक्ष के दौरान कौए की चोंच में फूल पत्ती दिखाई देती है, तो ऐसा माना जाता है कि इंसान को मनोरथ की प्राप्ति होती है। ऐसे देखने से सभी लोगों के कई शुभ और अशुभ विचारों की मान्यता है।