क्यों मनाया जाता है ‘क्रिसमस’, जानिए ईसाइयों के इस त्योहार का महत्त्व

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    सीमा कुमारी

    ईसाइयों (Christians) का प्रमुख त्यौहार ‘क्रिसमस’ (Christmas) हर साल 25 दिसंबर को समूची दुनिया में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। वैसे तो मुख्य रूप से ‘क्रिसमस’ का त्यौहार ईसाई धर्म का है, लेकिन, आजकल यह त्यौहार लगभग हर कोई मनाने लगा है। हर धर्म के लोग इस त्यौहार को मनाते हैं। इस त्यौहार का महत्व बहुत ज्यादा होता है। आइए जानते हैं क्रिसमस का त्यौहार क्यों मनाया जाता है साथ ही इसका महत्व क्या है।

     क्यों मनाया जाता है ‘क्रिसमस’ ?

    ईसाई मान्यता के अनुसार, ‘प्रभु यीशु’ का जन्म इसी दिन हुआ था। इन्होंने ही ईसाई धर्म की स्थापना की थी। यही कारण है कि इस दिन को पूरी दुनिया में ‘क्रिसमस-डे’ कहकर सेलेब्रेट किया जाता है। प्रभु यीशु ने मरीयम के यहां जन्म लिया था। ऐसा कहा जाता है कि मरीयम को एक सपना आया था जिसमें उन्हें प्रभु के पुत्र यीशु को जन्म देने की भविष्यवाणी की गई थी।

    फिर मरियम गर्भवती हुईं। इस दौरान मरियम को बेथलहम में रहना पड़ा था। जब रात ज्यादा हो गई तो उन्होंने वही रुकने के बारे में सोचा। उन्हें वहां रुकने के लिए कोई ठीक जगह नहीं दिखी। ऐसे में उन्हें एक जगह दिखी जहां लोग पशुपालन करते थे। उन्होंने वहीं रुकने का फैसला किया। उसी के अगले दिन माता मरियम ने प्रभु यीशु को जन्म दिया।

    जानकारों के मुताबिक, क्रिसमस शब्द की उत्पत्ति क्राइस्ट शब्द से हुई है। इस त्यौहार को सबसे पहले दुनिया में रोम में 336 ई. में मनाया गया था  

     क्रिसमस का महत्त्व

    ईसाई मतानुसार 360 ईसवी के करीब पहली बार रोम के एक चर्च में यीशु मसीह के जन्मदिन का उत्सव मनाया गया था।  लेकिन उस दौरान यीशु मसीह यानी जीसस क्राइस्ट के जन्मदिन की तारीख को लेकर बहस जारी थी।  

    इसके बाद लगभग चौथी शताब्दी में 25 दिसंबर को यीशु मसीह का जन्मदिवस घोषित किया गया। जिसके बाद वर्ष 1836 में अमेरिका में ‘क्रिसमस डे’ (Christmas Day) को आधिकारिक रूप से मान्यता मिली और 25 दिसंबर को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया। तब से इस दिन को महत्वपूर्ण मानते हुए क्रिसमस के रूप में मनाया जाता है।