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-सीमा कुमारी 

हिंदू धर्म में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का विशेष महत्व (Importance) है|दरअसल यह त्यौहार (Festival) नई फसल (New Crop) और नई ऋतु (New Season) के आगमन के अवसर पर मनाया जाता है| जो इस साल यानी 14 जनवरी (14 January) 2021, दिन गुरुवार (Thursday) को  मनाया जाएगा| इस दिन सूर्यदेव (Sun) अपने पुत्र शनिदेव (Shani) के घर जाते हैं और इसी दिन सूर्यदेव मकर (Capricorn) राशि में प्रवेश हैं| शनिदेव को मकर और कुंभ राशि (Aquarius) का स्वामी माना जाता है| इस कारण से यह दिन पिता (Father) और पुत्र (Son) के मिलन को दर्शाता है| आमतौर पर यह त्यौहार 14 जनवरी को मनाया जाता है| मकर संक्रांति का भारतीय धार्मिक परंपरा में विशेष महत्व है| क्योंकि इस दिन सूर्य धनु राशि (Sagittarius) को छोड़ कर मकर राशि में प्रवेश कर उत्तरायण में आता है।

शास्त्रों के अनुसार यह सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है और  इस दिन जप, तप, दान, स्नान का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति परंपरागत रूप से 14 जनवरी या 15 जनवरी को मनाई जाती आ रही है। मकर संक्रांति में ‘मकर’ शब्द मकर राशि को इंगित करता है जबकि ‘संक्रांति’ का अर्थ संक्रमण अर्थात प्रवेश करना है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। एक राशि को छोड़कर दूसरे में प्रवेश करने की इस विस्थापन क्रिया को संक्रांति कहते हैं। शास्त्रों के नियम के अनुसार रात में संक्रांति होने पर अगले दिन भी संक्रांति मनाई जाती है|

एक ख़ास बात यह है कि इस दिन विशेष रूप से खिचड़ी बनाने, खाने और दान करने का विशेष महत्व है| इस वजह से बहुत सी जगहों पर इस पर्व को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है| हालांकि मकर संक्रांति को क्षेत्र के आधार पर भी मनाया जाता है, जैसे उत्तर भारतीय हिंदुओं और सिखों द्वारा, इसे माघी कहा जाता है और लोहड़ी से पहले होता है| वहीं महाराष्ट्र, गोवा, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और तेलंगाना, मध्य भारत में सुकरात, असमिया द्वारा माघ बिहू और तमिलों द्वारा थाई पोंगल या पोंगल को भी पौष संक्रांति कहा जाता है| गुजरात में मकर संक्रांति के उत्सव को पतंगबाजी का आयोजन करके भी मनाया जाता है|

मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त-

शुभ मुहूर्त- पुण्य काल 08:30 AM से 04:46 PM

मकर संक्रांति महा पुण्य काल 08:30 AM से 10:17 AM