रैलीयों के दौरान नियमो की अनदेखी पर अदालत सख्त, कमलनाथ और तोमर पर मामला दर्ज करने का आदेश

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ग्वालियर: मध्यप्रदेश में उपचुनाव (By-poll Election) होने वाले है. जिसमें चुनाव प्रचार अपने चरम पहुंचा गया है. इस दौरान कोरोना (Corona Virus) से बचाव के लिए बनाएं नियमों की राजनीतिक दलों द्वारा सरे आम धज्जियाँ उड़ाई जा रही है. जिसको लेकर जबलपुर हाईकोर्ट बेहद नाराज़ है. मंगलवार को सुनवाई करते हुए अदालत ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है. 

अदालत ने यह आदेश कोरोना-19 की गाइडलाइन के उल्लंघन को लेकर एडवोकेट आशीष प्रताप सिंह ने जबलपुर के ग्वालियर बेंच पर याचिका दायर किया था. जिसपर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह आदेश दिया. इसी के साथ अदालत ने ग्वालियर और दतिया कलेक्टर नोटिस जारी कर दो दिन में रिपोर्ट मांगी है.

उम्मीदवार को प्रचार और लोगों को जीने का अधिकार 

सुनवाई के दौरान जस्टिस शील नागू और जस्टिस राजीव कुमार श्रीवास्तव की बेंच ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा, “संविधान ने उम्मीदवार और मतदाता दोनों को अधिकार दिए हैं. उम्मीदवार को चुनाव प्रचार का अधिकार है, तो लोगों को जीने और स्वस्थ रहने का हक है. उम्मीदवार के अधिकार से बड़ा लोगों के स्वस्थ रहने का अधिकार है.”

अदालत ने कहा,”मौजूदा हालात में राजनेताओं को लोगों के लिए उदारता दिखानी चाहिए थी, लेकिन उनके व्यवहार से ऐसा नजर नहीं आ रहा. सभाओं में सुरक्षित शारीरिक दूरी का पालन नहीं हो रहा है.” 

अदालत ने यह दिया आदेश 

  • पार्टियों को रैली और सभाओं के लिए इजाजत लेनी होगी. ये भी बताना होगा कि वर्चुअल सभा क्यों नहीं हो सकती है.
  • कलेक्टर अगर जवाब से संतुष्ट होते हैं तो ऑर्डर पास करेंगे और मामला चुनाव आयोग को भेजा जाएगा.
  • आयोग की मंजूरी के बाद ही सभाएं हो सकेंगी.
  • आयोग सभा में जितने लोगों को शामिल होने की मंजूरी देगा, उतने लोगों के मास्क व सैनिटाइजर पर होने वाले खर्च की दोगुनी राशि कैंडिडेट को कलेक्ट्रेट में जमा कराना होगी.
  • शपथ पत्र देना होगा, जिसमें हर व्यक्ति को मास्क और सैनेटाइजर उपलब्ध कराए जाने की बात लिखी हो और यह भी कि सभा की मंजूरी लेने वाला ही जवाबदेह होगा.