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    जबलपुर. मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय (MP High Court) ने दमोह विधानसभा उपचुनाव (Damoh Assembly by-election) में तैनात सरकारी कर्मचारियों की मौत से संबंधित जनहित याचिका पर सुनावाई करते हुये याचिकाकर्ता को दो सप्ताह में मरने वाले लोगों का ब्यौरा देने का निर्देश दिया है। उच्च न्यायालय में सामाजिक कार्यकर्ता जयसिंह ठाकुर की ओर से दायर जनहित याचिका में दावा किया गया कि चुनाव प्रशिक्षण से लेकर परिणाम की घोषणा (दो मई) तक चुनाव ड्यूटी करते हुए 66 शिक्षकों सहित 100 से अधिक सरकारी कर्मचारियों की मौत हो गई।

    जनहित याचिका में मांग की गई है कि प्रदेश सरकार और भारत निर्वाचन आयोग प्रत्येक मृतक के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा तथा कानूनी उत्तराधिकारी को नौकरी दे। याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने दलील दी कि याचिका में बिना विवरण के अस्पष्ट बयान दिया गया है कि चुनाव ड्यूटी के दौरान कोविड-19 के कारण लगभग 100 सरकारी कर्मचारियों की मृत्यु हुई थी।

    याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति वीके शुक्ला की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को उप चुनाव ड्यूटी के दौरान मृत सरकारी कर्मचारियों का विवरण दो सप्ताह के अंदर प्रस्तुत करने का निदेर्श दिया है।

    ठाकुर ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा पिछले साल 20 जुलाई को जारी अधिसूचना में ऐसी मौतों के लिए मुआवजे के तौर पर 30 लाख रुपये का प्रावधान किया था, लेकिन परिजनों को अब तक यह राशि नहीं मिली है जबकि प्रदेश के शिक्षा विभाग ने मृतक शिक्षकों के परिवारों को अंतिम संस्कार के लिए 50 हजार रुपये सहायता के तौर पर दिए थे। (एजेंसी)