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इंदौर (मध्यप्रदेश).  एक वयस्क व्यक्ति की लावारिस लाश के यहां एक सरकारी अस्पताल में सड़कर कंकाल में बदल जाने पर मचा बवाल अभी शांत भी नहीं हुआ था कि इसी चिकित्सा संस्थान के मुर्दाघर में पांच महीने के बालक के शव को कथित तौर पर छह दिन तक गत्ते के बक्से में बंद कर रखे जाने का मामला सामने आया है। इस बच्चे को उसकी अज्ञात मां ने जन्म के तत्काल बाद लावारिस छोड़ दिया था।

शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय (MYH) के मुर्दाघर के फ्रीजर में गत्ते के बक्से में बच्चे का शव रखे जाने की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद शुक्रवार को उसके शव का आनन-फानन में पोस्टमॉर्टम कराया गया। अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक एके पंचोनिया ने “पीटीआई-भाषा” को बताया, “बच्चे के शव का पोस्टमॉर्टम हो गया है। हमने पोस्टमॉर्टम में देरी को लेकर अस्पताल के शिशु रोग विभाग के प्रमुख समेत तीन कर्मचारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।” इस बीच, संयोगितागंज पुलिस थाने के प्रभारी राजीव त्रिपाठी ने बताया कि लावारिस बच्चे की अस्पताल में इलाज के दौरान 11 सितंबर को मौत हो गयी थी।

उन्होंने बताया कि अस्पताल प्रबंधन ने परिसर में बनी पुलिस चौकी को बृहस्पतिवार (17 सितंबर) की शाम सूचना दी कि बच्चे की मौत हो गयी है। थाना प्रभारी ने बताया कि इंदौर नगर निगम के कर्मचारियों की मदद से बच्चे का अंतिम संस्कार कराया जायेगा। पुलिस के मुताबिक यह बच्चा इंदौर से करीब 200 किलोमीटर दूर अलीराजपुर कस्बे में 17 अप्रैल को लकड़ी के ढेर के पास कपड़े में लिपटा लावारिस हालत में मिला था। अलीराजपुर के पुलिस अधीक्षक विपुल श्रीवास्तव ने बताया, “जब हमें यह बच्चा मिला, तब उसकी उम्र केवल एक दिन थी और उसकी नाभि से गर्भनाल तक अलग नहीं की गयी थी।”

अधिकारियों ने बताया कि बच्चे की हालत ठीक नहीं होने पर उसे अलीराजपुर के जिला अस्पताल से बेहतर इलाज के लिये शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय भेज दिया गया था। गौरतलब है कि इससे पहले अस्पताल के कर्मचारियों की कथित लापरवाही के चलते एक अज्ञात वयस्क का लावारिस शव अस्पताल के मुर्दाघर में स्ट्रैचर पर पड़े-पडे़ सड़ गया और कंकाल में बदल गया था। सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीर सामने आने से मचे हड़कंप के बाद प्रशासन ने बुधवार को तीन सदस्यीय समिति गठित की थी। इस समिति को अस्पताल के मुर्दाघर में शवों को अपमानजनक तरीके से रखे जाने के आरोपों की जांच के आदेश दिये गये हैं।