Madhya Pradesh government has to face challenge in providing employment

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भोपाल: कोविड—19 के मद्देनजर लागू देशव्यापी लॉकडाउन के कारण मध्यप्रदेश में अब तक 13.74 लाख से अधिक प्रवासी श्रमिकों के अपने घरों को वापस आने से राज्य सरकार को इनको रोजगार मुहैया कराने में बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले सप्ताह टेलीविजन के माध्यम से प्रदेश की जनता को संबोधित करते हुए कहा था कि कोविड—19 के कारण प्रदेश की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई है। दिल्ली से 18 मई को टीकमगढ़ जिले के अपने गांव गोपालपुरा वापस पहुंचे मजदूरों छिदामी कुशवाह (35) एवं उसकी पत्नी सगुन देवी (32) ने सोमवार को दावा किया है कि अब तक मध्यप्रदेश सरकार से उन्हें किसी प्रकार की मदद नहीं मिली है। छिदामी कुशवाह के भाई सूरज कुशवाह (28) भी उनके साथ दिल्ली से वापस आये हैं।

छिदामी कुशवाह ने ‘पीटीआई—भाषा’ को बताया, ”हम तीनों दिल्ली एवं हरियाणा में भवन निर्माण के कार्य में मजदूरी का काम किया करते थे। अब तक मध्यप्रदेश सरकार से हमें कोई आर्थिक मदद नहीं मिली है। मेरे पिताजी सुखलाल कुशवाह अब हमारी जरूरतों को पूरा कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि हम तीनों के पास महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत टीकमगढ़ में सक्रिय जॉब कार्ड नहीं है।

छिदामी ने बताया, ”हम बेहतर आजीविका के लिए करीब दो साल पहले हरियाणा चले गये थे। लेकिन, कोरोना वायरस की महामारी के चलते हमें पिछले सप्ताह अपने गांव वापस आना पड़ा। इसलिए हमने अपने जॉब कार्डों का नवीनीकरण नहीं करवाया। यदि हमारे पास सक्रिय जॉब कार्ड होते, तो हमें भी मनरेगा के तहत 202 रुपये रोजाना के हिसाब से मजदूरी मिल जाती। फिलहाल हम बेरोजगार हैं।”

वहीं, लॉकडाउन के बाद दिल्ली से इसी गोपालपुरा गांव में आये एक अन्य प्रवासी मजदूर परमानंद कुशवाह ने कहा कि उसे भी मध्यप्रदेश सरकार की ओर से कोई आर्थिक मदद अब तक नहीं मिली है। परमानंद कुशवाह दिल्ली में बिल्डिंग निर्माण के काम में वेल्डिंग का काम किया करता था। टीकमगढ़ में एक पंचायत सचिव ने अपना नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि निर्माण कार्य में आधुनिकीकरण के चलते मरनेगा में रोजगार बहुत कम हो गया है। उन्होंने कहा कि आजकल मजदूरों की जगह मशीनों एवं वाहनों का उपयोग बिल्डिंग निर्माण एवं अन्य निर्माण कार्यों में होने लगा है। इससे मजदूर परेशान हैं। टीकमगढ़ बुंदेलखंड क्षेत्र में आता है।

इसके अलावा, स्थानीय मजदूर कोविड—19 के डर से इन प्रवासी मजदूरों को अपने साथ काम पर रखने का भी विरोध कर रहे हैं। इससे अपने घर वापस आये इन प्रवासी मजदूरों को काम पाने में और दिक्कत आ रही है। मध्यप्रदेश के सीधी जिले के मोहनिया गांव के खेतिहर मजदूर मोतीलाल केवट (45) ने बताया, ”स्थानीय मजदूर प्रवासी मजदूरों को गांवों में रोजगार देने के खिलाफ हैं, क्योंकि स्थानीय मजदूरों को भय है कि प्रवासी मजदूर अपने साथ कोरोना वायरस की महामारी को ला सकते हैं और इससे वे भी इसकी चपेट में आ सकते हैं।”

हालांकि, मध्यप्रदेश के अपर मुख्य सचिव (पंचायत एवं ग्रामीण विकास) मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि राज्य सरकार प्रदेश में आये प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार मुहैया करा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार पूरी मेहनत से काम रही है और अपने घर आये प्रवासी मजदूरों को प्राथमिकता के साथ रोजगार, भोजन एवं स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवा रही है।

श्रीवास्तव ने बताया, ”अभी तक 13.74 लाख से अधिक मजदूर मध्यप्रदेश में अपने घर वापस आ गये हैं। इनमें से 10 लाख से अधिक मजदूरों को उनके घरों में ही पृथकवास किया गया है, जबकि 61,000 मजदूरों को संस्थागत पृथकवास केन्द्रों जैसे पंचायत घरों एवं स्कूलों में रखा गया है।” उन्होंने कहा कि इन प्रवासी मजदूरों के जॉब कार्ड बनाने का काम चल रहा है। इसके अलावा, इनके जॉब कार्डों को नवीनीकरण भी किया जा रहा है। जैसे ही इनके जॉब कार्ड बन जाएंगे और इनके पृथकवास का 14 दिन का समय पूरा हो जाएगा, उन्हें मनरेगा के तहत रोजगार दे दिया जाएगा।

श्रीवास्तव ने बताया कि कुछ प्रवासी मजदूरों को हम मनरेगा के तहत काम दे भी चुके हैं। उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों के अपने घर पहुंचने से पहले हम उनकी मेडिकल जांच करते हैं और उनका पूरा ध्यान रखते हैं। श्रीवास्तव ने बताया कि अब तक प्रदेश में 198 मजदूर कोरोना वायरस के संक्रमित पाये गये हैं। उन्होंने दावा किया, ”मध्यप्रदेश में आज प्रतिदिन 37 लाख लोगों को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत रोजगार मिल रहा है। मध्यप्रदेश में मनरेगा में रोजाना 37 लाख मजदूरों को रोजगार देना अब तक का कीर्तिमान है। इनमें वे श्रमिक भी शामिल हैं जो बाहर से आकर पृथकवास पर नहीं हैं।”

मध्यप्रदेश सरकार ने पिछले महीने कहा था कि लॉकडाउन के कारण फंसे हुए 22 राज्यों के करीब 7,000 प्रवासी मजदूरों को प्रदेश सरकार 1,000 रूपये आर्थिक मदद मुहैया कराएगी। जब उनसे सवाल किया गया कि कुछ प्रवासी मजदूरों की शिकायत है कि उन्हें मध्यप्रदेश सरकार से यह 1,000 रूपये की आर्थिक सहायता अब तक नहीं मिली, इस पर श्रीवास्तव ने बताया, ”वह हमारे विभाग का काम नहीं है। वह श्रम विभाग का काम है। हमारा काम तो श्रमिकों को काम देना है।”(एजेंसी)