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– क्या होगा इनका देश और दुनिया पर असर

मुंबई. संपूर्ण विश्व में लाइलाज महामारी बन चुकी कोरोना का शमन करने के लिए जहां चिकित्सा विज्ञान दिन-रात प्रयत्नशील है, वहीं ज्योतिष शास्त्र भी इसके कारण और निवारण के लिए ग्रहों की चाल पर नजर रखे हुए है. ज्योतिष विज्ञान के अनुसार पिछले साल दिसंबर माह में पड़े सूर्य और चंद्र ग्रहण के समय कई ग्रहों का केंद्र में आना तथा गुरु और शनि के बीच बना विशेष योग कोरोना जैसी विषाणुजनित रोग का कारक बना. इस वर्ष भी देश में छह ग्रहण लगने जा रहे हैं, जो अपना प्रभाव देश-दुनिया पर अवश्य डालेंगे.

ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं के अनुसार पिछले वर्ष के अंत में हुए सूर्य ग्रहण से ऐसे योग बने थे, जिनके प्रभाव से दुनिया में कोरोना महामारी ने पाव पैसारे थे. अब यह महामारी दुनियाभर में फैल चुकी है. इस महामारी से दुनिया आज जूझ रही है. इसका प्रभाव कब तक रहेगा कहना मुश्किल है.

इस वर्ष 4 चंद्र एवं 2 सूर्य ग्रहण

इस वर्ष होने वाले ग्रहणों का देश व दुनिया पर क्या प्रभाव पड़ेगा ? यह ग्रहण कब-कब होंगे ? ज्योतिष वैज्ञानिक इसे किस रूप में देखते हैं ? प्रस्तुत है इसकी व्याख्या. इस वर्ष में 4 चंद्रग्रहण और 2 सूर्यग्रहण होने जा रहे हैं. जिसका प्रभाव देश और विदेश पर पड़ने जा रहा है. 5 जून को लगने वाला चंद्र ग्रहण भारत, यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा और 21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत, दक्षिण पूर्व यूरोप और एशिया में दिखाई देगा. इस साल के सूर्य ग्रहण पर अधिकतर ज्योतिषियों की नजरें हैं, क्योंकि यह ग्रहण मिथुन राशि में लगेगा. 21 जून को लगने वाले ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पहले ही लग जाएगा. इस साल पड़ने वाले ग्रहण बहुत महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं, क्योंकि ज्योतिषियों के अनुसार इन ग्रहण से मिथुन राशि के जातकों पर विशेष प्रभाव पड़ेगा. उस समय कुल छह ग्रह वक्री होंगे जो शुभ संकेत नहीं हैं. ग्रहण के कारण ग्रहों की ऐसी स्थिति विश्व भर के लिए चिंताजनक मानी जा रही है. ग्रहण के समय मंगल ग्रह मीन में गोचर होकर सूर्य, बुध, चंद्रमा और राहु को देखेंगे जिसके परिणाम शुभ नहीं माने जा रहे हैं. वहीं ग्रहण के समय शनि, गुरु, शुक्र और बुध वक्री स्थिति में होंगे. राहु और केतु की चाल उल्टी ही रहती है. ऐसी स्थिति में दुनिया भर में हलचल की स्थिति बन रही है.

प्राकृतिक आपदा का संकेत

प्राकृतिक आपदाओं के लिए भी यह स्थिति शुभ नहीं है. सीमा पर आपसी विवाद की स्थिति भी नजर आ सकती है. ज्योतिषीय गणना के अनुसार साल का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून अर्थात आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर मिथुन राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लगेगा. साथ ही मिथुन राशि पर सूर्य ग्रहण का सबसे ज्यादा प्रभाव देखने को मिलेगा.

पहला ग्रहण

इस वर्ष का पहला ग्रहण 10 जनवरी को चंद्र ग्रहण के रूप में लगा था. रात 10 बजकर 37 मिनट से प्रारंभ हुआ यह ग्रहण 11 जनवरी को 2 बजकर 42 मिनट पर समाप्त हुआ था. इसे भारत, यूरोप, अफ्रीका, एशिया और आस्ट्रेलिया में देखा गया.

दूसरा ग्रहण

साल का दूसरा ग्रहण भी 5 जून चंद्र ग्रहण के रूप में पड़ने जा रहा है. रात्रि 11 बजकर 15 मिनट से प्रारंभ होकर 6 जून को प्रातः 2 बजकर 34 मिनट तक रहेगा. यह चंद्र ग्रहण भारत, यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में दृश्य होगा जिसके कारण इन देशों में ग्रहण का असर पड़ेगा.

तीसरा ग्रहण

साल का तीसरा ग्रहण 21 जून को सूर्य ग्रहण के रूप में लगने जा रहा है. 21 जून की सुबह 9 बजकर 15 मिनट से शुरू होकर दोपहर 03 बजकर 03 मिनट तक रहेगा. यह ग्रहण भारत, दक्षिण पूर्व यूरोप और एशिया में दिखाई देगा इसलिए इन देशों में इसका प्रभाव रहेगा.

चौथा ग्रहण

वर्ष का चौथा ग्रहण 5 जुलाई को चंद्र ग्रहण के रूप में पड़ेगा. सुबह 08 बजकर 37 मिनट से प्रारंभ होकर 11 बजकर 22 मिनट तक रहेगा. यह ग्रहण अमेरिका, दक्षिण पूर्व यूरोप और अफ्रीका में दृश्य होगा और यहां असरकारक होगा.

पांचवा ग्रहण

इस वर्ष का पांचवां ग्रहण 30 नवंबर चंद्र ग्रहण के रूप में पड़ने जा रहा है. दोपहर को 01 बजकर 02 मिनट से शुरू होकर शाम 05 बजकर 23 मिनट तक जारी रहेगा. यह ग्रहण भारत, अमेरिका, प्रशांत महासागर, एशिया और आस्ट्रेलिया में दिखाई देगा और प्रभावी रहेगा.

छठवा ग्रहण

साल का अंतिम एवं छठवा ग्रहण 14 दिसंबर को सूर्यग्रहण के रूप में लगेगा. शाम को 07 बजकर 03 मिनट से प्रारंभ होकर 15 दिसंबर को रात 12 बजे तक रहेगा. यह ग्रहण भारत मे दिखाई नहीं देगा. इसलिए इसका प्रभाव यहां न के बराबर पड़ेगा.