Former Maharashtra Home Minister Anil Deshmukh's troubles may increase, Court extends ED custody of colleagues

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    मुंबई: उद्योगपति मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) के घर एंटीलिया (Antilia) के बाहर मिले विस्फोटक और मनसुख हिरेन मामले (Mansukh Hiren MurderCase)  में घिरी महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) की मुश्किलें लगातर बढ़ती जा रही है। मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह (Parambir Singh) को हटाने के बाद गृहमंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) को भी हटाया जा सकता है। इसी बीच शुक्रवार को देशमुख, एनसीपी चीफ शरद पवार (NCP Chief Sharad Pawar) से मिलने उनके नई दिल्ली स्थित आवास पर पहुंचे हैं। 

    सूत्रों से मिली जानकरी के अनुसार, एंटीलिया मामले को जिस तरह देशमुख ने संभाला है, उससे पवार बेहद खफा है। साथ ही परमबीर सिंह को लेकर जिस तरह की बयानबाजी गृहमंत्री द्वारा की गई है, उसको लेकर शिवसेना (Shivsena) नाराज है। इसके बाद पवार पर उन्हें हटाने का दवाब बढ़ गया है। एनसीपी सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार, पवार ने देशमुख को पद से हटाने का निर्णय ले लिया है।

     

    परमबीर सिंह ने की गलती

    बीते गुरुवार को अनिल देशमुख ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि, पूर्व मुंबई कमिश्नर परमबीर सिंह ने एंटीलिया और सचिन वाझे मामले पर बड़ी गलती की है। उन्होंने आगे कहा कि, एनआईए और एटीएस सचिन वाझे (Sachin Waze) मामले की बहुत पेशेवर तरीके से जांच कर रहे हैं। उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी। परम बीर सिंह को मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से स्थानांतरित किया गया है ताकि जांच बिना किसी बाधा के की जा सके।”

    शिवसेना और एनसीपी में मतभेद 

    परमबीर सिंह हो हटाने को लेकर शिवसेना और एनसीपी आमने सामने आगए हैं। एनसीपी ने जहां परमबीर को हटाना सही मान रही है, वहीं शिवसेना कह रही है कि पूर्व कमिश्नर को बली  का बकरा बनाया गया। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Udhav Thackeray) परमबीर को हटाने  के पक्ष में नहीं थे। लेकिन दवाब के कारण यह किया गया। परमबीर सिंह को हटाने के बाद शिवसेना नेताओं ने अनिल देशमुख को भी जिम्मेदार मानते हुए उन्हें गृहमंत्री पद से हटाने की मांग शुरू कर दी है। 

    खास लॉबी के बने शिकार 

    शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना (Saamna) में परमबीर सिंह का बचाव करते हुए लिखा, “परमबीर सिंह ने मुंबई पुलिस प्रमुख के तौर पर कोविड-19 महामारी जैसे मुश्किल वक्त में काम किया और पुलिस बल का मनोबल बढ़ाया।” सामना में आगे लिखा कि, ‘‘उनके कार्यकाल के दौरान ही टेलिविजन रेटिंग प्वाइंट्स (टीआरपी) घोटाला प्रकाश में आया। दिल्ली का एक खास गुट इसको लेकर उनसे नाराज चल रहा था।” उन्होंने कहा कि सिंह का तबादला जरूर हुआ है लेकिन इससे वह अपराधी नहीं बन जाते हैं।