मुंबई. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सोमवार को विश्वविद्यालय में अंतिम वर्ष में पढ़ने वाले छात्रों की परीक्षाएं रद्द करने का फैसला लिया था। लेकिन संघ समर्थित न्यास ने इसका विरोध कर यह फैसला वापिस लेने के लिए राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ के शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा है।
न्यास ने पत्र में लिखा है कि, महाराष्ट्र सरकार ने अंतिम वर्ष में पढ़ने वाले छात्रों की परीक्षा रद्द करके उनके जीवन से खिलवाड़ की। इसलिए न्यास ने राज्यपाल से राज्य सरकार के आदेश के खिलाफ आदेश देने की अपील की है।
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव अतुल कोठरी ने राज्यपाल से कहा, विश्वविद्यालय के अंतिम वर्ष में पढाई करने वाले छात्रों को बिना परीक्षा पास करना अन्याय पूर्ण है। कोरोना महामारी की स्थिति में परीक्षाएं आयोजित करना कठिन है। लेकिन ऐसा फैसला लेने पहले सरकार को कई बातों पर गंभीर विचार करने की आवशकता है। पत्र में यह भी लिखा है कि, पिछले सेमेस्टर परीक्षाओं के कुल अंक जोड़कर छात्रों को अंतिम अंक दिए जाने वाले है। लेकिन अंतिम वर्ष के अंको के आधार पर छात्रों के भविष्य की नीव रखी जाती है। अंतिम वर्ष यानि छात्रों को बीते प्रदर्शन को सुधारने का एक मौका होता है।
न्यास का मानना है कि, पिछले प्रदर्शन के आधार पर सभी छात्रों का मूल्यांकन सही नहीं हो सकता। परीक्षा रद्द करने के बजाय इन्हे देर से करने विकल्प ढूंढा जाना चाहिए। यदि परीक्षाएं रद्द हो जाती है, तो इस प्रकार की डिग्री से भविष्य में नौकरी और विदेश में पढाई के लिए काफी दिक्कतें आ सकती है।
इसलिए न्यास ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र में कहा कि, छात्रों के भविष्य में खिलवाड़ करने वाले इस निर्णय को तत्काल वापस लिया जाए। साथ ही राज्यपाल ने सरकार को आदेश देकर यह फैसला वापस लेने के लिए अनुरोध किया है।