- वयरोलॉजी के जांच में खुलासा
- गटर के पानी से भी रहना होगा सावधान
मुंबई. मुंबई में कोरोना (Corona) के कहर का असर अब गंदे नाले नालियों में भी दिखाई दे रहा है। खासकर मुंबई की झोपड़पट्टियों के गटर से लिए गए सेंपल से खुलासा हुआ है कि उसमें भी कोरोना के वायरस (Corona virus) मिले हैं। गटर में कोरोना वायरस (Corona virus) मिलने के बाद सफाई कर्मियों और स्थानीय लोगों को गटर से भी सावधान रहना होगा।
इससे पहले हैदराबाद के सीवर में भी कोरोना वायरस (Corona virus) पाया गया था। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी (National Institute of Virology) की टीम ने मुंबई की उन सभी झोपड़पट्टियों के सीवर से सेंपल इकट्टा किया था जहां पर कोरोना के सबसे अधिक मरीज पाए गए थे। इसमें धारावी (Dharavi), वडाला, शिवाजी नगर, कुर्ला, कंजुरमार्ग, मलाड़ की झोपड़पट्टियों शामिल थीं। वैज्ञानिकों ने जांच में पाया कि झोपड़पट्टियों में कोरोना संक्रमितों (Corona infected) के मल के जरिए यह वायरस गटर तक पहुंचे हैं। वॉयरोलॉजी के वैज्ञानिकों ने पोलियो मॉडल के आधार पर मुंबई की स्लम बस्तियों में गटर से सेंपल लेकर कोरोना वायरस (Corona virus) की मौजूदगी का पता लगाया है।
मध्यम लेयर में मिले वायरस
वैज्ञानिकों के अनुसार गटर की तीन लेयर का सेंपल लेकर जांच की गई थी, लेकिन कोरोना के वायरस मध्यम लेयर में मिले हैं। वर्ष 2001 में पोलियो संक्रमण को लेकर भी इसी तरह की निगरानी की गई थी। कोरोना महामारी से पहले इन छह स्लम इलाकों से सैंपल लिए गए थे। इसके बाद लॉकडाउन के दौरान 11 से 22 मई के बीच 20 सैंपल एकत्रित किए गए थे। डॉ. दीपा कैलाश शर्मा ने बताया कि कोरोना वायरस के होने के बारे में सबसे पहले दुनिया को नीदरलैंड के वैज्ञानिकों ने बताया था। कुछ ही समय पहले हैदराबाद में सीसीएमबी के वैज्ञानिकों ने भी सीवर में कोरोना वायरस मिलने की पुष्टि की थी।
मल, साबुन के जरिए सीवर में पहुंचा वायरस
जांच के आधार पर वैज्ञानिकों ने पाया कि संक्रमित होने वाले मरीजों के मल और नहाने समय साबुन पानी के जरिए वायरस के गटर में पहुंचा है। इससे स्पष्ट होता है कि साबुन के पानी से भी वायरस का खात्मा नहीं होता है। वह धुल कर गटर में पहुंच जाता है। अब शक पैदा हो रहा है कि क्या सेनेटाइजर से कोरोना का खात्मा हो भी रहा है या नहीं।
दूसरी जांच में कई इलाकों में मिला करोना
11 से 18 मार्च के दौरान धारावी व वडाला से लिए गए सेंपल जमा किए थे लेकिन इन इलाकों में कोरोना के वायरस नहीं मिले थे। लेकिन दूसरी बार मुंबई के 12 स्थानों से सेंपल इकट्टा किया गया। जिन इलाकों में पहले सीवर में कोरोना के वायरस नहीं मिले थी वहां भी वायरस पाए गए। मतलब यह कि पहले जहां कोरोना वायरस नहीं था वहां मात्र डेढ़ महीने में ही सीवर तक कोरोना संक्रमण पहुंच गया।
-डॉ. दीपा कैलाश शर्मा, वैज्ञानिक, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी