मुंबई. केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले (Union Minister Ramdas Athawale) ने कहा कि केंद्र सरकार (Central Government) के कृषि कानूनों (Agriculture Bill) के विरुद्ध दिल्ली के पास हो रहे आंदोलन के समर्थन में मुंबई (Mumbai) में किसानों ( (Farmers)को जुलूस निकालने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह केवल ‘लोकप्रियता’ हासिल करने के लिए किया जा रहा है। आठवले ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के पक्ष में है और उन्हें न्याय दिलाना चाहती है।
वहीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने आठवले पर किसानों का अपमान करने का आरोप लगाया और अपने बयान के लिए माफी मांगने को कहा। पूरे महाराष्ट्र से हजारों की संख्या में किसान, केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन करने के लिए सोमवार को मुंबई में एकत्रित हुए।
केंद्र सरकार किसानों के पक्ष में : आठवले
आठवले ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में तीनों कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी है और केंद्र ने भी दो साल के लिए कानूनों पर रोक लगाने का प्रस्ताव दिया था। उन्होंने एबीपी माझा चैनल से कहा कि (मुंबई में) इस जुलूस की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी है। आठवले ने कहा कि सरकार ने दो साल के लिए कानून लागू न करने का प्रस्ताव दिया था। इसलिए यह आंदोलन केवल लोकप्रियता हासिल करने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के पक्ष में है और उन्हें न्याय दिलाना चाहती है। उन्होंने कहा कि किसानों को सुनना चाहिए, उन्हें आंदोलन बंद कर देना चाहिए।
किसानों की भावनाओं को आहत किया
मुंबईतील आझाद मैदान येथे सुरू असलेल्या शेतकरी आंदोलनाला ‘पब्लिसिटी स्टंट’ म्हणून हिणवत केंद्रीय राज्यमंत्री @RamdasAthawale यांनी देशातील शेतकऱ्यांचा अपमान केला आहे. त्यामुळे आठवले यांनी महाराष्ट्रासह देशातील सर्व शेतकऱ्यांची तात्काळ माफी मागावी – @maheshtapase, प्रदेश प्रवक्ते pic.twitter.com/3Rjzr0r6BF
— NCP (@NCPspeaks) January 25, 2021
इस बीच, महाराष्ट्र राकांपा के मुख्य प्रवक्ता महेश तपासे ने कहा कि आठवले ने आजाद मैदान में विरोध प्रदर्शन को लोकप्रियता हासिल करने का हथकंडा बता कर देश के किसानों का अपमान किया है। तपासे ने एक वीडियो संदेश में कहा कि आठवले एक मंत्री हैं। उन्होंने किसानों की भावनाओं को आहत किया है। उन्हें तत्काल देश और विशेषकर महाराष्ट्र के किसानों से माफी मांगनी चाहिए।