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    मुंबई. साल 2021-22 के लिए महाराष्ट्र राज्य का बजट (‍Budget) 8 मार्च को पेश किया जाएगा। गुरुवार को दोनों सदनों की कामकाज सलाहकार समिति (बीएसी) की बैठक में हुई, जिसमें 1 मार्च से शुरू हो रहे बजट सत्र (Budget Session) को सिर्फ 10 दिनों के लिए आयोजित करने का फैसला लिया गया। जिसके तहत पहले सप्ताह में सिर्फ 5 दिन और दूसरे सप्ताह में 3 दिन का कामकाज होगा। 

    उपमुख्यमंत्री व वित्त मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे अजीत पवार (Ajit Pawar) 8 मार्च को विधानसभा में बजट पेश करेंगे। जिसके बाद अगले दो दिनों तक इस पर चर्चा होगी। बजट सत्र के पहले दिन 1 मार्च को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Governor Bhagat Singh Koshyari) का अभिभाषण होगा। जिसके बाद दोनों सदनों में चर्चा करने एक बाद आभार प्रस्ताव पारित किया जाएगा।   

    देवेन्द्र फडणवीस भड़के

    इससे पहले कामकाज सलाहकार समिति (बीएसी) की बैठक में जमकर बवाल हुआ। विधानसभा में नेता विपक्ष देवेन्द्र फडणवीस बजट सत्र को 4 सप्ताह तक चलाने की मांग कर रहे थे। संसदीय कार्य मंत्री अनिल परब ने कहा कि राज्य में एक बार फिर कोरोना के मामलों में तेज़ी से इजाफा हुआ है। ऐसे में सभी की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बजट सत्र को सिर्फ 10 दिनों तक चलाने का फैसला किया। सरकार की इस दलील से देवेन्द्र फडणवीस भड़क गए और उन्होंने बैठक से वॉकआउट कर दिया। उन्होंने कहा कि ठाकरे सरकार कोरोना का बहाना बना कर जरुरी मुद्दों के चर्चा से भागना चाहती है। देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि वन मंत्री संजय राठौड़ ने जब वाशिम जिले में पोहरा देवी का दर्शन किया तो वहां हजारों की भीड़ जमा हुई थी। उस समय सरकार को कोरोना की चिंता नहीं हुई, लेकिन बजट सत्र में चर्चा से भागने के लिए कोरोना का सहारा ले रही है। विपक्ष ने मॉडल पूजा चव्हाण खुदकुशी, कोरोना से निपटने में हुए कथित करप्शन, किसानों की कर्जमाफी व बढ़ी हुई बिजली बिल के अलावा कई मुद्दों को लेकर ठाकरे सरकार को घेरने की योजना बनाई है।     

    नहीं होगा विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव

    बजट सत्र के दौरान विधानसभा के नए अध्यक्ष का चुनाव नहीं होगा। नाना पटोले के इस्तीफे के बाद यह पद खाली है। पटोले की जगह विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरी झिरवाल यह जिम्मेदारी संभालेंगे। ठाकरे सरकार के कई मंत्री व विधायक कोरोना से पीड़ित हैं। ऐसे में विधान मंडल के सत्र में उनके उपस्थित रहने की संभावना कम है। इस वजह से नए विधानसभा अध्यक्ष में मतदान कराना संभव नहीं होगा। ऐसे में नए विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव अगले अधिवेशन में होगा।