bombay high court
File Photo

    Loading

    मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार को इलाज में लापरवाही की शिकायतों पर डॉक्टरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के मामलों से निपटने के लिए अच्छी तरह से प्रशिक्षित पुलिस अधिकारियों का एक विशेष प्रकोष्ठ बनाने पर विचार करने का शुक्रवार को सुझाव दिया। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ ने यह भी कहा कि राज्य को पुलिस अधिकारियों को मरीज के दोस्तों या रिश्तेदारों की शिकायतों पर डॉक्टरों के खिलाफ अपराध दर्ज करने के बारे में मौजूदा कानून और उच्चतम न्यायालय के फैसलों से अवगत कराना चाहिए। 

    अदालत कोविड-19 से संबंधित संसाधनों के प्रबंधन और मरीजों के रिश्तेदारों द्वारा डॉक्टरों पर हमलों की बढ़ती घटनाओं पर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील राजेश इनामदार ने बृहस्पतिवार को अदालत को सूचित किया था कि कोविड-19 वार्ड में काम कर रहे कई डॉक्टरों को मरीजों के रिश्तेदारों की शिकायतों पर पुलिस से नोटिस मिल रहे हैं। मरीजों के ये रिश्तेदार इलाज या कुछ मामलों में मरीजों की मौत से नाराज थे।

    भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) का प्रतिनिधित्व करने वाले एक डॉक्टर ने अदालत को बताया कि ‘‘डॉक्टरों पर अनावश्यक रूप से हमले किए जा रहे हैं।” वह वीडियो कांफ्रेंस के जरिए अदालत में पेश हुए। उन्होंने कहा कि डॉक्टर जहां तक संभव होता है प्रोटोकॉल के अनुसार काम करते हैं जबकि कोई दवा मरीज की स्थिति, उसकी अन्य बीमारियों को देखते हुए दी जाती है। कई डॉक्टरों को प्रोटोकॉल में उल्लेखित दवा के उपलब्ध नहीं होने के कारण वैकल्पिक दवा देनी पड़ती है। 

    महाराष्ट्र के महाधिवक्ता ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय के कुछ फैसले पेश करते हुए कहा कि पुलिस को बिना सोचे समझे अपराध दर्ज नहीं करना चाहिए जब तक कि लापरवाही का उचित मामला न बने। इस पर अदालत ने कहा कि पुलिस को यह पता लगाने में प्रशिक्षित होना चाहिए कि किन मामलों में फौरन अपराध दर्ज करने की आवश्यकता है। 

    पीठ ने कहा, ‘‘राज्य को अपने पुलिस अधिकारियों को इस मुद्दे पर कानून तथा उच्चतम न्यायालय के फैसलों से अवगत कराना चाहिए। ऐसे पुलिस अधिकारियों का प्रकोष्ठ हो सकता है जो इन स्थितियों से निपटने में माहिर हो। इससे ऐसी शिकायतें हर किसी पुलिस अधिकारी के पास नहीं जाएगी। 

    इलाज में लापरवाही की सभी शिकायतें अच्छी तरह से प्रशिक्षित अधिकारियों के पास जाएगी।” अदालत ने राज्य को 16 जून तक इस पर फैसला लेने और उसे इससे अवगत कराने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि वह इसके बाद ही उचित आदेश पारित करेगी। (एजेंसी)