THORAT-GADKARI

    Loading

    मुंबई. आज श्री नितिन गडकरी (Union Minister Nitin Gadkari) अपना 63वां जन्मदिन (HBD Nitin Gadkari) मना रहे हैं। यूँ तो उन्हें एक बेहतरीन नेता, विचारक और महाराष्ट्र के CM उद्धव ठाकरे के शब्दों में एक कर्मठ ‘टास्क मास्टर’ भी माने जाते हैं। लेकिन इन सबसे अलग महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री बालासाहेब थोरात (Balasaheb Thorat), श्री गडकरी के जोशीले व्यक्तित्व और उनकी मूल्यों पर आधारित राजनीति के भी कायल हैं। ऐसे ही उनके बारे में थोरात ने अपने कुछ और विचार रखे और उन्हें उनके जन्मदिन पर अनेकों बधाई दी। 

    बालासाहेब थोरात ने दी श्री गडकरी को जन्मदिन की शुभकामनाएं:

    एक इंटरव्यू में मुझसे पूछा गया कि विपक्ष में सबसे जोशीला नेता कौन है?  प्रश्नकर्ता भारतीय जनता पार्टी के नेता की उम्मीद कर रहा था और इसी बीच अचानक मेरे जुबान पर नितिन गडकरी का नाम आ गया। इसकी वजह नितिन गडकरी की शख्सियत है। इस नफरत को उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में कभी महसूस नहीं किया। हालांकि वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सदस्य हैं, लेकिन वे एक राजनेता हैं और लोकतंत्र में उनकी आस्था है। वे ऐसे नेता हैं, जो मानते हैं कि लोकतांत्रिक मूल्यों को बरकरार रखा जाना चाहिए। वह पार्टी के मतभेदों को भुलाकर रचनात्मक कार्यों के पीछे मजबूती से खड़े होने के लिए तैयार हैं। अगर किसी राजनीतिक नेता या पार्टी का गैर-राजनीतिक कार्यक्रम है, तो वे नितिन गडकरी का कार्यक्रम चाहते हैं।

    जोशीला व्यक्तित्व,मूल्य आधारित राजनीति पर फ़िदा: 

    उनके बारे में मेरी राय तैयार होने के कई कारण हैं। यह घटना वर्ष 2015 की है। पुणे-नासिक राजमार्ग मेरे संगमनेर निर्वाचन क्षेत्र से होकर गुजरता है। यह हाईवे ठीक शहर से होकर गुजरता था, जिस कारण बड़ा ट्रैफिक जाम हो जाता था। एक विकल्प यह था कि संगमनेर शहर के बाहर से उसे बायपास तैयार कर दिया जाए। कमलनाथ जब केंद्र में सड़क परिवहन मंत्री थे तो उन्होंने इस समस्या का समाधान किया और काम पूरा हुआ, लेकिन बायपास के लिए अधिग्रहित जमीन को लेकर किसानों को मुआवजा देने का सवाल लंबित था। मुआवजे की राशि विवाद का विषय था। मध्यस्थ ने मुआवजे की राशि तय की थी, लेकिन सड़क परिवहन विभाग को लगा कि यह राशि बहुत ज्यादा है। इस बीच, केंद्र और राज्यों में सत्ता परिवर्तन हुआ। अब मैं राजस्व मंत्री भी नहीं था, लेकिन इस समस्या को हल करने के लिए अंतिम उपाय के रूप में मैं नितिन गडकरी से मिलने गया, जो केंद्र में सड़क परिवहन मंत्री बने। 

    दिल्ली में उनके कार्यालय पहुंचने पर पता चला कि वह एक बैठक में व्यस्त  हैं। मैं उनके निजी सचिव के केबिन में बैठ गया। जैसे ही मेरे मिलने का समय हुआ, नितिन गडकरी बैठक से बाहर आए और पूछा कि बालासाहेब थोरात आए हुए हैं क्या ? मैंने कहा कि हाँ, मैं यहाँ हूं। तब नितिनजी मेरे पास आए और बोले, अरे थोरात साहब, यहां कहां बैठे हो, ऑफिस में बैठो। मैं दस मिनट में अपनी बैठक समाप्त करूंगा और फिर हम चर्चा करेंगे। उन्होंने बड़े उत्साह से मुझे अपने कार्यालय में बिठा लिया। वह अगले दस मिनट में अपनी बैठक को समाप्त कर आ गए।

    इसके बाद उन्होंने सभी बातों को बहुत ध्यान से समझा। मैंने भी उन्हें अपनी भूमिका के लिए आश्वस्त किया। मैंने उनसे आग्रह किया कि वे किसानों को मुआवजे के संबंध में मध्यस्थ के फैसले को स्वीकार करें और अपने विभाग को ऐसे निर्देश दें। उन्होंने तुरंत अपने निजी सहायक सुधीर देउलगांवकर को फोन किया। उन्हें उस कार्य के सन्दर्भ में अपेक्षित निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मैं कुछ चीजों की जांच करूंगा, एक महीने में काम हो जाएगा और वास्तव में अगले महीने काम शुरू हो गया। किसानों को मुआवजा मिल गया।  कई लोग उनके साथ ऐसे अनुभव साझा करेंगे। यदि यह जनहित में कार्य है तो पक्षपातपूर्ण मतभेदों को दरकिनार कर नितिन जी इस पर जोर देते हैं। यह उनकी विशेषता है।

    कृषि क्षेत्र के विकास के लिए सदैव सहयोग:

    यदि कृषि से संबंधित कोई भी समस्या, विशेषकर सहकारी क्षेत्र के चीनी उद्योग को लेकर कोई दिक्कतें आने पर शरद पवार जी हमेशा उन्हें हल करते थे। साल 2014 से पहले शरद पवार कृषि मंत्री थे, इसलिए उनके साथ इससे संबंधित मुद्दों पर हमेशा चर्चा की जाती थी। तब भी विपक्ष की तरफ से गडकरी जी चर्चा में शामिल हुआ करते थे। खासकर भाजपा को लेकर हमेशा यह कहा जाता है कि भाजपा और सहकार से संबंधित मुद्दों को रखना है तो नितिन गडकरी को बुलाना पड़ेगा। इन शब्दों को सहजता से हमारे मुंह से निकल जाता है, यह वास्तविकता है।  

    किये विकास के उल्लेखनीय कार्य:

    गडकरी जी को सरकार चलाने का काफी अनुभव है। वे साल 1989 से 2014 तक विधान परिषद में रहे और साल 1995 से 1999 तक गठबंधन सरकार में राज्य के लोक निर्माण मंत्री थे। इस दौरान उन्होंने ग्रामीण महाराष्ट्र को राजमार्गों के माध्यम से शहरों से जोडऩे का महत्वपूर्ण कार्य किया। इस दौरान फ्लाईओवर का काम भी उल्लेखनीय रहा। निजी डेवलपर्स की भागीदारी के साथ उनके विभाग ने कई नई परियोजनाओं के लिए धन जुटाया। उनकी भूमिका का हमारी पार्टी सहित शिवसेना और भाजपा के कुछ नेताओं ने विरोध किया था, लेकिन अपनी भूमिका का समर्थन करते हुए वे कई भाषणों में कहते थे कि ‘नेट गवर्नमेंट’ के जरिए शत-प्रतिशत विकास का लक्ष्य हासिल करना संभव नहीं है। यदि हम निजीकरण को बढ़ावा देते हैं, तो विकास की प्रक्रिया तेज होगी।

    दूरदर्शी निर्णय लेने में सक्षम:

    नितिन गडकरी मजबूती के साथ अपने मुद्दों को रखते हैं। अपनी भूमिका पर वे बरकरार रहते हैं। मुझे याद है जब वे लोक निर्माण मंत्री थे तो, उन्होंने नागपुर-वर्धा मार्ग पर दो फ्लाईओवर बनाने का प्रस्ताव रखा था। उस काम का भारी विरोध हुआ था। सवाल पूछे गए कि फ्लाईओवर की जरूरत क्यों है, लेकिन गडकरी ने अपनी भूमिका पर कायम रहे। हालांकि, आज यह स्पष्ट है कि उनकी दूरदर्शी निर्णय सही थी। राजनीतिक जीवन में विकास के निर्णय लेते समय दृढ़ रहना पड़ता है।

    यदि आपका निर्णय समाज के भविष्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है, लोगों के जीवन को आसान बनाता है, तो विरोध के बावजूद आगे बढऩा आवश्यक है। मैंने हमेशा यह संकल्प और दृढ़ निश्चय नितिन गडकरी में देखा। मंत्री के रूप में काम करते हुए मैंने उनकी एक बात को नोटिस किया कि सभी सनदी सेवकों का रवैया सकारात्मक नहीं होता, उन्होंने इसकी आलोचना भी की। उन्होंने कभी भी नकारात्मक रवैये वाले अधिकारी को पसंद नहीं किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जनहित के कार्य एक निश्चित समय और गुणवत्ता में हो।

    सहकारिता आंदोलन के प्रति उत्साही:

    गडकरी एक ऐसे व्यक्ति हैं, जो सहकारिता आंदोलन के प्रति उत्साही हैं। महाराष्ट्र कृषि भूमि अधिनियम पर चर्चा के दौरान जब गडकरी विपक्ष के नेता थे, उन्होंने आरोप लगाया कि सहकारिता विभाग के अधिकारी उन्हें परेशान कर रहे है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा था कि अधिकारी ‘लक्ष्मी दर्शन’ के बिना काम नहीं कर रहे है। उन्होंने भी चिंताजनक सवाल करते हुए कहा था कि ये सहकारी समितियां कहां भुगतान करेंगी? हमें याद है कि गडकरी ने कहा था सहकारिता आंदोलन राज्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस आंदोलन के लिए यशवंतराव और वसंतदादा द्वारा किया गया कार्य बहुत ही महान है। कोई कुछ भी कहे, सहकारिता आंदोलन ने महाराष्ट्र में एक मिसाल कायम की है।

    इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा:

    विधान परिषद अथवा सदन के बाहर गडकरी के सभी भाषणों में हमेशा विकास का मुद्दा होता है। औद्योगीकरण को बढ़ाया जाना चाहिए, इसके लाभों की वह लगातार बात कर रहे थे। सहकार के माध्यम से अथवा कृषि आधारित उद्योगों के मामले में वे लगातार चर्चा करते रहते। भाषण, तत्वज्ञान, विचार रखने वाले बहुत हैं, लेकिन हम शायद ही कभी महान व्यक्तित्व पाते हैं जो उन्हें स्वयं उन पर अमल करते हैं। इसमें नितिन गडकरी का नाम सम्मान के साथ लेना होगा।

    नितिन गडकरी ने कई प्रयोग किए। वे चीनी उद्योग में उतरे। उन्होंने इथेनॉल उत्पादन शुरू किया। उन्होंने पूर्ति बाजार जैसे विचारों को आगे बढ़ाने की कोशिश की। वे केवल विचारों पर नहीं रुकना चाहते, वे स्वयं व्यवसाय करना चाहते हैं। उन्होंने सदन में कहा था कि कई चीनी मिलें गन्ने से शीरे का उत्पादन करती हैं। इसका उपयोग इथेनॉल बनाने के लिए भी किया जा सकता है। केंद्र सरकार ने ईंधन में 10 प्रतिशत इथेनॉल का उपयोग करने की अनुमति दी है, आप अधिक चीनी कारखानों को इथेनॉल का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करें। ऐसा करने से फैक्ट्रियों को फायदा होगा।

    विदर्भ में कोई चीनी उद्योग और कारखानाधारक नहीं है। इसलिए कोई किसान गन्ने की रोपाई नहीं करता है और जब गन्ने की रोपाई नहीं हो रही है तो, कोई गन्ना उद्योग भी नहीं है। हालांकि इस दुष्चक्र को भेदने का पूरा प्रयास उन्होंने किया है। उन्होंने विदर्भ खासकर भंडारा में कुछ उद्योग शुरू करने की कोशिश की। यह कहना संभव नहीं है कि उन्हें हर जगह सफलता मिली हैं, लेकिन कहीं भी कोई समस्या होने पर वे स्पष्ट रूप से बोलने में असफल नहीं हुए हैं। सार्वजनिक मंच पर इन सबका जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मैं यहां सफल हुआ और यहां असफल रहा।

    विदर्भ के विकास को भी प्राथमिकता:

    इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि विदर्भ हमेशा उनके भाषणों का केंद्र रहा है। यदि हम विधान परिषद में उनके भाषणों को विदर्भ के संदर्भ में देखें, तो वे समग्र मानव विकास के विचारों का सुझाव देते हैं। हॉल में बी। टी। देशमुख एक ऐसे व्यक्तित्व थे, जो लगातार विदर्भ के विकास की बात करते थे। इस समय गडकरी भी विदर्भ के पिछड़ेपन पर जोर देते थे। उस समय के उनके भाषण आंकड़ों के साथ और शांत तरीके से बहुत संक्षिप्त थे। वह अपनी बात मनवाने की कोशिश करते।

    उन्होंने सिर्फ शिकायत नहीं की। उनके भाषण में अंतराल हुआ करती थी। उन्हें जब भी समय मिलता थोड़ा-बहुत ट्विक करते थे। विपक्ष नेता के रूप में वे सत्ताधारी दल पर हमला करते थे, लेकिन इन सभी खामियों को दिखाते हुए कि वे इस बारे में भी विस्तार से बताते थे कि हम इसे दूर करने के लिए क्या कर सकते हैं? शायद कोई कहे, सरकार को क्यों बताते हो? विपक्ष के नेता न केवल एक आलोचक हैं, बल्कि एक रचनात्मक अधिवक्ता भी हैं, जैसा कि नितिन गडकरी के व्यक्तित्व से देखा जा सकता है।

    सदैव महाराष्ट्र के हित में कार्य:

    राजनीति से परे जाकर उन्होंने सदन में महाराष्ट्र के हित में कई मुद्दे उठाए। उन्होंने कहा था कि बुनियादी ढांचे के अलावा हमें वृक्षारोपण पर ध्यान देना चाहिए। इसमें किस तरह के पौधे होने चाहिए? इससे सरकार और वन विभाग को आय कैसे हो सकती है? उन्होंने सदन में ऐसे रचनात्मक मुद्दों पर चर्चा की। सभी जिलों में शिक्षा सुविधाओं का विस्तार किया जाना चाहिए। इसके लिए एक सांविधिक बोर्ड का गठन किया जाए, जो एक कुलपति की नियुक्ति करेगा। यह अकादमिक पाठ्यक्रम भी बनाएगा।

    यह उन जिलों में बढ़ेगा जहां कॉलेजों की संख्या कम है। संक्षेप में यह शिक्षा में पारदर्शिता लाएगा। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष के रूप में ऐसे कई अच्छे सुझाव भी दिए। संक्षेप में एक महान विपक्षी नेता के रूप में गडकरी का कार्यकाल जारी रहा। भाषण सिर्फ इसलिए अच्छा नहीं है, क्योंकि वह आक्रामक है। उनके भाषण संरचना, दायरे, संदर्भ, अध्ययन और सबसे महत्वपूर्ण रूप से विषय को प्रस्तुत करते समय उनके चेहरे पर ईमानदार अभिव्यक्ति के कारण वे यादगार थे।

    उन्होंने जितना निजी विकासकर्ता की बात की, उतना ही सदन में जमीनी स्तर के हितों को सूक्ष्मता से पेश किया। विरोध के बावजूद वे अच्छे  मुद्दों पर सरकार का समर्थन और सहयोग करते थे। इसलिए आज भी वे पार्टी से ज्यादा विपक्ष में लोकप्रिय हैं। विपक्ष के नेता के रूप में काम करते हुए, हमें उनके व्यक्तित्व के विभिन्न रंगों का अनुभव हुआ। मैंने उन्हें सरकार को जवाबदेह ठहराते हुए, उन्हें नरम होते हुए, शरारत से चुटकी लेते हुए और सदन को जोर-जोर से हंसते हुए देखा। नैतिकता की भावना से राजनीति और समाजशास्त्र कर रहे इस बहुआयामी नेता को जन्मदिन की बधाई!  

    धर्मनिरपेक्ष व्यक्तित्व:

    सदन में उनके भाषण चर्चित हैं, लेकिन उनकी वाकपटुता को भी याद किया जाएगा। विरोधी पक्षनेता रहते हुए सदन में अधिकारी कक्ष की तरफ हाथ करते हुए वे कहते थे कि मंत्री महोदय, आपको जो सही लगता है वो करें। ये अधिकारी झारी में शुक्राचार्य हैं। इनके ऊपर खास अवलंबित न रहें। गडकरी ने लोकप्रियता के लिए कभी कुछ नहीं कहा। साल 2001 में जब दुर्भाग्य से महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में सांप्रदायिक दंगे हुए, तो उन्होंने सदन में बोलते हुए सरकार की कड़ी आलोचना की, लेकिन अकेले हाथ जोड़ कहा कि हर मुसलमान देशद्रोही नहीं है और हर आदमी की देशभक्ति पर शक करने की जरूरत नहीं है। यह शब्द भी पूरी ताकत के साथ उन्होंने कहीं।

    गडकरी हमेशा अपने भाषण का इस्तेमाल विकल्प सुझाने के लिए करते थे। उनके कई विचार सरकार के लिए फायदेमंद साबित होते। बिजली की खपत बढऩे के कारण सरकार कुछ विदेशी कंपनियों को बिजली पैदा करने की अनुमति देने पर विचार कर रही थी। उस समय गडकरी ने सदन में सरकार की भूमिका की आलोचना की थी, लेकिन उस दौरान उन्होंने यह भी सुझाव दिया था कि विदर्भ में कोयला बहुत है। छोटे उद्यमी वहां बिजली संयंत्र लगा सकते हैं। उन्हें अनुमति दें। अनुमति की विधि को सरल बनाएं।

    एक लोकप्रिय नेता हैं श्री गडकरी :

    साल 1999 से 2004 तक विपक्ष के नेता के रूप में नितिन गडकरी का करियर उल्लेखनीय रूप से लोकप्रिय रहा। विधान परिषद उच्च सदन है, जहां सदस्यों की संख्या कम होती है, इसलिए बोलने और अपना पक्ष रखने के लिए अधिक समय मिलता है। मैं उस समय सिंचाई राज्य मंत्री था। नितिन गडकरी द्वारा पूछे गए कई सवालों के जवाब देना मेरी जिम्मेदारी थी। दरअसल, जब वे नेता प्रतिपक्ष बने तो उनका एक्सीडेंट हो गया था। पैर में चोट लग गई। इससे उबरने में थोड़ा समय लगा, लेकिन जब वे विधान परिषद में आए तो उन्हें बैठकर काम करना पड़ा। मुझे लगता है कि उनके भाषण का स्वर खड़े होने की तुलना में बैठकर बोलना बेहतर था।

    उन्होंने विपक्ष के नेतृत्व को स्वीकार करने के  बाद अपने भाषण में कहा कि आलोचना करना विपक्ष का अधिकार है, लेकिन केवल ‘विरोध के लिए विरोध’ करना सही नहीं है। अगर सत्ताधारी दल ने कोई अच्छा काम किया है तो उसकी तहे दिल से तारीफ होनी चाहिए। क्योंकि अंत में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही लोकतंत्र के लिए प्रतिबिंब हैं। यह किसी एक दल का विचार नहीं है कि यह राज्य सुखी हो, यह राज्य के लोगों का विचार है। इसलिए हम सभी को सत्ता की राजनीति से परे जाकर एक गौरवशाली महाराष्ट्र का सपना देखना चाहिए।

     

    बालासाहेब थोरात

    राजस्व मंत्री, महाराष्ट्र सरकार