मुंबई. सामना के प्रधान संपादक और प्रमुख शिवसेना सांसद संजय राउत के साथ हुए एनसीपी चीफ शरद पवार का इंटरव्यू सामना में प्रकाशित किया गया। इसके साथ ही ‘सामना’ के 33 साल के इतिहास में पवार पहले ऐसे गैर-शिवसेना नेता बने जिनका साक्षत्कार ‘सामना’ ने लिया और छापा।
आज मैंने ‘सामना’ के लिए वरिष्ठ नेता शरद पवार जी @PawarSpeaks का marathon interview लिया। चीन से लेकर महाराष्ट्र तक की घटनाओं पर उन्होंने खुलकर अपने विचार व्यक्त किए। interview सामना स्टाइल में जोरदार ढंग से हुआ। जो जल्द ही प्रसारित और प्रकाशित होगा। pic.twitter.com/0r4WUi5tDC
— Sanjay Raut (@rautsanjay61) July 6, 2020
इस इंटरव्यू में पवार ने बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस को जमकर निशाने पर लिया और साथ ही केंद्र सरकार पर भी महाराष्ट्र सरकार का सहयोग न करने पर जमकर लताड़ लगायी। उन्होंने महाविकास अघाड़ी की तीनों पार्टियों के आपसी रिश्तों पर भी प्रकाश डाला। अपनी बात में उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि वह प्रदेश की सरकार के ‘रिमोट कंट्रोल’ नहीं हैं। नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर चुटकी लेते हुए कहा कि राजनेता कभी भी जनता को हल्के में न लें वरना जनता ने इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेताओं को भी धुल चटा दी फिर देवेन्द्र की क्या बिसात।उन्होंने मोदी सरकार को घेरते हुए कहा कि अर्थ व्यवस्था साफ ढ़ह गई है। इसे संवारने के लिए देश को और एक मनमोहन सिंह की जरूरत है, लेकिन मोदी सरकार को विशेषज्ञों की सलाह नहीं चाहिए।
पवार ने यह भी स्पष्ट किया कि महाविकास अघाडी सरकार में उनकी भूमिका न तो ‘हेडमास्टर’ की हैं और न ही किसी प्रकार के ‘रिमोट कंट्रोल’ की। इस पर उनका यह मत था कि हेडमास्टर, स्कूल में प्रभावी और प्रजातंत्र में सरकार या प्रशासन को कभी भी रिमोट कंट्रोल से संचालित करना मुश्किल है। यह गैर प्रजातांत्रिक देशों के लिए है जैसे, रूस आदि जहां व्लादिमिर पुतिन ही अब साल 2036 तक राष्ट्रपति रहेंगे।’
देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि वह चुनाव से पहले ही सत्ता में लौटने का दावा करते रहे, ऐसा उनका गरूर था जिसे जनता ने निकाल बहार किया। इसीलिए राजनेताओं को जनता को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए। पवार ने यह भी कहा कि बीजेपी सरकार ने हमेशा अपने साझीदार शिवसेना को कमतर आँका जो उनकी बड़ी गलती थी। पवार ने कहा कि बीजेपी को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 105 सीटें शिवसेना की वजह से ही मिलीं वरना उन्हें केवल केवल 40-50 सीटें ही मिलती । उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोना लॉकडाउन के दरम्यान महाराष्ट को केंद्र सरकार का सहयोग नहीं मिल रहा है।