Shiv Sena

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मुंबई. शिवसेना ने मंगलवार को कहा कि कर्नाटक में छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा हटाने पर महाराष्ट्र भाजपा में उनके भक्तों की “चुप्पी” चिंताजनक है और पूछा कि यह “नकली भक्ति” किस काम की है। शिवसेना मुखपत्र “सामना” में प्रकाशित एक संपादकीय में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन के बाद अपने भाषण में शिवाजी महाराज की तारीफ की। पार्टी ने कहा कि भाजपा शासित कर्नाटक में बेलगाम जिले के मंगुत्ती गांव में शिवाजी महाराज की प्रतिमा को ऐसे हटा गया “मानो बाबरी मस्जिद गिराई गई हो।” उसने भाजपा के शिवाजी प्रेम को ढोंग करार दिया। संपादकीय में कहा गया है कि मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में शिवाजी की प्रतिमा हटाने पर महाराष्ट्र के भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने वहां के तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ से माफी की मांग की थी।

उद्धव ठाकरे नीत पार्टी ने कहा कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की तो निंदा तक नहीं की जा रही है। “सामना” में कहा गया है, ” रातों-रात शिवाजी महाराज की प्रतिमा हटाना चिंताजनक है। इससे भी ज्यादा चिंताजनक महाराष्ट्र भाजपा में शिवभक्तों की चुप्पी है।” शिवसेना ने कहा कि अगर कर्नाटक में कांग्रेस सरकार होती तो (कर्नाटक के पास स्थित) महाराष्ट्र के सांगली और सातारा में तो भाजपा ने उपद्रव मचाया ही होता। उसने कहा, ” लेकिन देखो कि वे अब कैसे खामोश हैं। शिवाजी महाराज की ये नकली भक्ति किस काम की?” पार्टी ने भाजपा पर युगपुरुषों के नाम का प्रयोग राजनीतिक स्वार्थ के लिए करने का आरोप लगाया। लेख में कहा गया है कि महाराष्ट्र के गत चुनाव में भाजपा ने प्रचारित किया कि छत्रपति शिवाजी महाराज का आशीर्वाद उनके साथ है। लेकिन उनके कार्यकाल में अरब सागर में मराठा महाराज के स्मारक के लिए एक र्इंट तक नहीं रखी गई।

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में पांच अगस्त को हुए समारोह का हवाला देते हुए शिवसेना ने कहा कि उस दिन मोदी ने दिल की गहराइयों से शिवाजी महाराज को याद किया था। पार्टी ने पूछा, ” प्रधानमंत्री छत्रपति शिवाजी महाराज के समक्ष नतमस्तक होते हैं और कर्नाटक में उनके कन्नड़ी सिपाही रातों-रात शिवाजी महाराज की प्रतिमा हटा देते हैं। इसे किससे जोड़कर देखें? मराठी दैनिक ने आरोप लगाया, ” अयोध्या में श्रीराम को तंबू से मंदिर में ले जाने का समारोह संपन्न हुआ और कर्नाटक में शिवाजी महाराज की प्रतिमा को चौक से हटाने का रावणी समारोह किया गया।” किसी का नाम लिए बिना शिवसेना ने कहा कि पिछले साल भाजपा ने शिवाजी के वंशजों को अपनी पार्टी में लिया। यह सब राजनीतिक स्वार्थ के लिए दिखावा है। गौरतलब है कि छत्रपति शिवाजी के वंशज एवं राज्यसभा सदस्य उदयनराजे भोसले पिछले साल राकांपा छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे।