किसान आंदोलन को शिवसेना का समर्थन, ठाकरे दिल्ली बैठक में लेंगे भाग

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मुम्बई. शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने रविवार को कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे शिक्षा, कृषि एवं कानून व्यवस्था जैसे क्षेत्रों में ‘राज्य सरकारों के अधिकारों’ में केंद्र के कथित हस्तक्षेप के मुद्दे पर उनकी पार्टी की राय से इत्तेफाक रखते हैं। मुख्यमंत्री से यहां भेंट करने के बाद चंदूमाजरा ने कहा कि शिवसेना के प्रमुख ठाकरे ने किसानों के प्रदर्शन के मुद्दे पर अकाली दल के रुख का समर्थन किया।

उन्होंने राज्यों के राजस्व घटाये जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश की राजनीति को ‘केंद्रीकृत करने के प्रयासों’ के खिलाफ क्षेत्रीय दलों को एकजुट होने की जरूरत है। शिवसेना ने पिछले साल विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद साझा करने के मुद्दे पर भाजपा से नाता तोड़ लिया था। शिअद केंद्र के नये कृषि कानूनों का विरोध करते हुए इस साल सितंबर में भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से बाहर आ गया था। नयी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर इन कानूनों के खिलाफ हजारों किसान 26 नवंबर से जुटे हुए हैं और उन्होंने आठ दिसंबर को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है।

चंदूमाजरा ने कहा, ‘‘यदि राज्य मजबूत होंगे तब देश मजबूत होगा। यदि राज्य कमजोर होंगे तो देश कमजोर होगा। आज देश की राजनीतिक व्यवस्था का केंद्रीकरण किया जा रहा है। शिअद संघवाद के पक्ष में है।” उन्होंने कहा, ‘‘ उद्धव ठाकरे का भी मानना था कि राज्यों के अधिकारों की रक्षा करने की जरूरत है।” शिअद नेता ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि (किसानों एवं केंद्र के बीच) वार्ता सफल हो। अन्यथा सभी राजनीतिक दलों को दो सप्ताह में एकजुट होना चाहिए और भावी रणनीति पर चर्चा करनी चाहिए। किसानों के लिए कानून बिना उनसे पूछे बनाये गये। जिनके लिए कानून बनाये गये, वे नाराज हैं और वे सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। ”

उन्होंने कहा कि विभिन्न दल इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलेंगे। इस बीच, मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि भेंट के दौरान अकाली नेता ने कहा कि कृषि कानून किसानों के हितों के खिलाफ हैं। बयान के अनुसार, ठाकरे ने कहा कि किसान ‘देश के मेरूदंड हैं” और उनकी समस्याओं और मुश्किलों का निदान सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।