Sack with pure sugar on table
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समीर मुजावर

कोल्हापुर. कोरोना वायरस के दुनिया भर में तांडव के कारण भारत में भी लॉकडाउन के कदम उठाये गए हैं, लेकिन इस लॉकडाउन का असर भारत के चीनी उत्पाद उद्योग पर दिखाई दे रहा है. केंद्र सरकार ने 1 अक्टूबर 2019 से सितम्बर 2020 तक भारत से 60 लाख टन चीनी का एक्सपोर्ट करने के लिए परमिशन दी थी. जिसमें अकेले महाराष्ट्र को 18 लाख टन चीनी एक्सपोर्ट का कोटा मिला था. लेकिन कोरोना वायरस और लॉकडाउन से इस वर्ष केवल 38 लाख टन चीनी बाहरी देशो में एक्सपोर्ट की गयी है.

 अब चीनी मिलों के गोदामों में बड़े पैमाने में बची चीनी की अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी मांग घटने से चीनी के दाम भी अब गिरने लगे हैं और यही कारण है की कोरोना का कहर और लॉकडाउन के कारण देश के चीनी उत्पाद उद्योग अब खतरे के दौर से गुजर रहे हैं. ऐसी जानकारी वरिष्ठ चीनी उद्योग अभ्यासक डॉ.विजय अवताड़े ने दी.

 महाराष्ट्र में उत्पादित होनेवाली 11 लाख टन चीनी का एक्सपोर्ट 

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में न्यूयॉर्क और लंदन स्थित ट्रेड पर चीनी के दाम तय किये जाते हैं. उसके अनुसार अक्टूबर 19 से सितम्बर 20 तक भारत से बाहरी देशो में एक्सपोर्ट की जानेवाली चीनी मिल मालिकों के पास तक़रीबन 30 से 32 लाख टन चीनी उपलब्ध है. इसमें महाराष्ट्र में उत्पादित होनेवाली 11 लाख टन चीनी का एक्सपोर्ट किया गया है, लेकिन अभी तक 9 लाख टन चीनी ज्यों के त्यों पड़ी हुई है.रमजान के महीने में आंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारत में उत्पादित चीनी को भारी डिमांड होती है.लेकिन लॉकडाउन के चलते पोर्ट फॅसिलिटी की उपलब्धता और यातायात की सुविधा न होने से देश की चीनी एक्सपोर्ट करने के अवसर इसबार फेल हो चुके हैं.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के दाम भी गिरने की आशंका

ब्राजील में इसवर्ष गन्ने का उत्पादन बड़े पैमाने पर हुआ है.जिससे तक़रीबन 330 लाख टन चीनी का उत्पाद हो सकता है और साथ ही 60 से 70 लाख टन अतिरिक्त चीनी और उतनी ही मात्रा में इथेनॉल का निर्माण भी किया जानेवाला है. यह अतिरिक्त 60 से 70 लाख टन चीनी ब्राजील से एक्सपोर्ट होने की आशंका होने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के दाम भी गिरने की आशंका जताई जा रही है. कोरोना के कारण देशभर में लॉकडाउन चलते और ब्राजील के बड़े पैमाने पर होनेवाले चीनी उत्पाद के कारण भारत में आगे जाकर चीनी के एक्सपोर्ट पर बड़ी मर्यादा लग सकती हैं.जिससे 60 लाख टन चीनी एक्सपोर्ट का उद्देश्य पूरा होने पर आशंकता जताई जा रही है.

देश और महाराष्ट्र में चीनी मिलों का पेराई सत्र हाल ही में ख़त्म हुआ है.कुछ चीनी मिलों में अभी भी गन्ने की पेराई शुरू है.जिससे उत्पादित चीनी बाजारों में न जाने से बड़े पैमाने पर गोदामों में भरी पड़ी है.अब और चार माह के बाद चीनी मिलों का देश में फिर से पेराई सत्र शुरु होगा और चीनी का उत्पाद किया जायेगा.एक्सपोर्ट न की गयी और नए से उत्पाद की गयी चीनी का भंडार उपलब्ध होने के कारण अब बाजारों में चीनी के दाम गिरने की आशंका जताई जा रही है, जिससे चीनी उद्योग खतरे में आएगा और फिर उत्पादित चीनी को बाजार उपलब्ध होगा क्या ऐसा अहम सवाल चीनी मिल मालिको के सामने खडा है.