मुंबई. महाराष्ट्र (Maharashtra) में मंदिर खुलवाने हेतु राजनीति अपने चरम पर है। जिसके चलते अब महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Govermet) और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। इसी कड़ी में आज सामना में राज्यपाल कोश्यारी पर निशाना साधते हुए एक लेख छपा है। इसमें शिवसेना (ShivSena) ने उन्हें BJP का हिमायती भी करार दे दिया है। वहीं BJP के राम कदम (Ram Kadam) ने भी इस पर शिवसेना को पलट कर जवाब दिया है।
सामना ने कहा “एक ही… लेकिन सॉलिड मारा”:
दरअसल आज शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) का पेट दुख रहा है इसलिए एक बड़े संवैधानिक पद पर विराजमान व्यक्ति को भी प्रसव पीड़ा हो रही है और यह बहुत गंभीर मसला है। आज शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा कि, ” राज्यपाल के गरिमामय पद पर बैठा यह बुजुर्ग व्यक्ति अपनी मर्यादा लांघ कर व्यवहार कर रहा है। क्या करें और कैसें कहें, इसका सबक देश के सभी राज्यपालों ने ले ही लिया होगा। राज्य के मंदिरों को खोलने के लिए BJP ने जो आंदोलन शुरू किया है उसमे राज्यपाल को कूदने की जरुरत बिलकुल भी नहीं थी।”
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— Saamana (@Saamanaonline) October 15, 2020
यही नहीं शिवसेना ने आगे कहा कि, “राज्य में एक तरफ बार और रेस्टॉरेंट तो शुरू हो गए हैं, लेकिन प्रार्थना स्थल अभी भी क्यों बंद हैं? क्या आपको मंदिरों को बंद रखने के लिए कोई दैवीय संकेत मिल रहा है ? या आप अचानक बड़े सेक्युलर हो गए हैं? ऐसा सवाल ओछा प्रश्न राज्यपाल ने पूछा है। जिस पर राज्य के CM उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल की धोती ही पकड़ ली है और पूरे राजभवन को हिलाकर रख दिया है।”
शिवसेना ने आगे कहा कि इस मामले में राज्यपाल ने आ बैल मुझे मार जैसा बर्ताव किया है, लेकिन वे भूल गए कि यहां बैल नहीं, बल्कि ‘शेर’ है। लेकिन इसमें बड़ी बात यह है कि इस पूरी ‘धुलाई’ में BJP का भी चीरहरण हो गया। राज्यपाल के सहारे महाराष्ट्र सरकार पर किया उनका हमला उन्हें ही भारी पड़ गया है।
BJP ने भी दिया करारा जवाब :
अब इस मुद्दे पर BJP नेता राम कदम भी कहाँ चुप रहने वाले थे। उन्होंने कहा कि, “सामना लिखती है कि ‘एक ही मारा सॉलिड मारा’। यह कैसी ओछी बात है। अगर इन लोगों ने हकीकत में किसी को मारा है तो वह महाराष्ट्र की जनता है जो अभी भी देवालय के खुलने की आस में बैठें हैं। यह हकीकत में उनको लगी मार है। यह ‘मारने की मस्ती’ एक दिन उद्धव सरकार पर भारी पड़ जाएगी। वैसे भी CM उद्धव ठाकरे और शिवसेना को यह अहंकार शोभा नहीं देता है।”
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चाहे जो हो लेकिन इतना तो तय है कि महाराष्ट्र कि यह मंदिर वाली राजनीति अभी दूर तलक जाएगी और नए-नए गुल भी खिलाएगी। बस आप समय का इंतज़ार करें।