Mucormycosis

  • 14.96 करोड़ रु. 6 ऑक्सीजन प्लांट की लागत
  • 15.38 करोड़ रु. CSR निधि से हुए प्राप्त

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नागपुर. कोरोना महामारी के लगातार बढ़ते संक्रमण और उपायों को लेकर हाई कोर्ट की ओर से स्वयं संज्ञान लेकर कई आदेश जारी किए गए. इनके अनुसार अब विदर्भ में ऑक्सीजन और रेमडेसिविर जैसी जीवनावश्यक दवा की उपलब्धता सुनिश्चित हो गई. किंतु कोरोना के साथ ही अब पैर पसार रहे ब्लैक फंगस पर अम्फोटेरिसिन दवा उपलब्ध कराने की मांग करते हुए इंटरविनर की ओर से अधि. अनिलकुमार मूलचंदानी द्वारा अर्जी दायर की गई.

याचिका पर सोमवार को सुनवाई के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश अविनाश घारोटे ने ब्लैक फंगस पर मेडिसिन का प्रोटोकॉल क्या है? इसे लेकर अनभिज्ञता जताते हुए अदालत को इससे अवगत कराने के आदेश राज्य सरकार को दिए. साथ ही अदालत ने याचिका पर दर्ज सभी पक्षों को भी इस संदर्भ में जानकारी उजागर करने की स्वतंत्रता भी प्रदान की. अदालत मित्र के रूप में अधि. श्रीरंग भांडारकर ने पैरवी की. सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि ब्लैक फंगस को लेकर केंद्र या राज्य सरकार की ओर से जारी किसी भी तरह के प्रोटोकॉल की जानकारी नहीं है. यहां तक कि स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट में कौनसी दवा उपचार का हिस्सा होगी, इसकी भी जानकारी नहीं है.

6 ऑक्सीजन प्लांट को हरी झंडी

सोमवार को सुनवाई के दौरान जिलाधिकारी की ओर से अर्जी दायर की गई जिसमें 8 ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने के लिए वर्क ऑर्डर जारी करने की अनुमति देने का अनुरोध अदालत से किया गया. मेयो, मेडिकल, एम्स के अलावा अन्य 6 स्थानों पर ऑक्सजीन प्लांट स्थापित करने के लिए 14,96,24,000 रु. की लागत होने की जानकारी दी गई. यहां तक कि डब्ल्यूसीएल, सीआईएल और माइल जैसी कम्पनियों से 15.38 करोड़ सीएसआर निधि से प्राप्त हुए हैं. 23 मार्च 2021 को केंद्र सरकार द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार ही प्रस्ताव होने से अदालत ने इन प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान की. अदालत ने जिलाधिकारी को वर्क ऑर्डर जारी करने की स्वतंत्रता देते हुए अगली सुनवाई के दौरान इसकी जानकारी भी अदालत के समक्ष रखने के आदेश दिए. अदालत ने आदेश में स्पष्ट किया कि कम्पनियों को 16 सप्ताह के भीतर ऑक्सीजन प्लांट स्थापित कर उन्हें कार्यान्वित भी करना होगा. 

दोनों अस्पताल वित्तीय क्षमता की दें जानकारी

-जिलाधिकारी द्वारा दायर अर्जी में वानाडोंगरी स्थित शालिनीताई मेघे अस्पताल और हिंगना रोड स्थित लता मंगेशकर ग्रामीण अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए वर्क ऑर्डर देने की अनुमति का भी अनुरोध किया गया. 

-इन दोनों अस्पतालों में क्रमश: 1,74,64,000 रु. की लागत से 100 क्यूबिक मीटर प्रति घंटे की क्षमता का ऑक्सीजन प्लांट लगाया जाना है. सुनवाई के दौरान अदालत मित्र ने कहा कि दोनों अस्पताल निजी संस्थाओं के प्रबंधन द्वारा संचालित किए जाते हैं. 

-अधि. मूलचंदानी ने अदालत से कहा कि अस्पताल नाममात्र शुल्क लेकर मरीजों का उपचार करते हैं लेकिन ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने के लिए दोनों अस्पतालों के प्रबंधन द्वारा भी लागत का कुछ हिस्सा देना है. 

-उनकी ओर से किसी तरह की जानकारी उजागर नहीं की गई है. इसके बाद अदालत ने दोनों अस्पतालों को उनकी आर्थिक क्षमता की जानकारी देने के आदेश दिए गए.