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    मुंबई. देश में चाइनीज वायरस कोविड-19 (Covid-19) का खतरा फिर बढ़ने से शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है, क्योंकि इससे देश के आर्थिक विकास (Economic Development) पर बुरा असर पड़ने की आशंका है। लेकिन इसके बावजूद शेयर बाजार में विभिन्न उद्योग क्षेत्रों की विकासशील स्मालकैप (Smallcap) और मिडकैप (Midcap) कंपनियों के शेयरों (Stocks) में अच्छी तेजी आ रही है। 

    बीएसई का 30 शेयरों वाला लार्जकैप इंडेक्स सेंसेक्स (Sensex) अपनी नई ऊंचाई से 7% घटकर 49,591 अंक पर आ गया है, जो ढ़ाई माह पहले 16 फरवरी को 52,516 अंक की नई ऊंचाई पर पहुंच गया था, परंतु बीएसई का 717 स्मालकैप कंपनियों वाला इंडेक्स 4 साल बाद बीते सप्ताह 21,880 अंक की नई ऊंचाई पर पहुंचा है।

    फिर तेजी की राह पर

    स्मालकैप इंडेक्स का इससे पहले सर्वोच्च स्तर 20,183 अंक था, जो 29 जनवरी 2018 को पहुंचा था। स्मालकैप के साथ मिडकैप इंडेक्स ने भी उस दिन पहली बार 18,321 अंक की नई ऊंचाई छुई थी। सेंसेक्स और निफ्टी (Nifty) भी 4 साल पहले क्रमश: 36,444 अंक और 11,172 अंक की नयी ऊंचाइयों पर पहुंचे थे। लेकिन सेंसेक्स और निफ्टी तो 3 साल बाद यानी जनवरी 2020 में फिर 42,274 अंक और 12,430 अंक की नई ऊंचाइयों पर पहुंच गए थे। परंतु स्मालकैप और मिडकैप में ज्यादा तेजी नहीं आई। पिछले साल कोरोना महामारी के कारण बाजार में भारी मंदी आई, पर जल्दी ही बाजार में फिर तेजी शुरू हो गयी।

    4 वर्षों में सेंसेक्स 44% तो स्मालकैप मात्र 8% बढ़ा

    तेजी के इस नए दौर में लार्जकैप इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी तो जल्दी ही यानी दिसंबर 2020 में ही पुराने उच्च स्तरों को पार करने में सफल हो गए और बढ़ते हुए फरवरी 2021 में क्रमश: 52,516 एवं 15,431 अंक की रिकार्ड ऊंचाई पर जा पहुंचे। तब से इनमें तो गिरावट का रूख है, लेकिन स्मालकैप और मिडकैप में तेजी जोर पकड़ रही है। यदि 4 साल पहले और अब सेंसेक्स का स्तर देखे तो सेंसेक्स में 44% की कुल तेजी आ चुकी है, इसके विपरीत विगत 4 वर्षों के दौरान स्मालकैप में मात्र 8% की बढ़त आई है। इसी तरह मिडकैप में भी केवल 15% की ही तेजी आई है। 98 मिडकैप कंपनियों वाला बीएसई का मिडकैप इंडेक्स 12 मार्च 2021 को 21,085 अंक की नई ऊंचाई छूने के बाद अब 20,312 अंक पर है।        

    4 साल तक क्यों रही मंदी?     

    स्मालकैप और मिडकैप शेयरों में पिछले 4 वर्षों तक मंदी क्यों छायी रही, इस संबंध में विश्लेषकों का कहना है कि 4 साल पूर्व केंद्रीय बजट में शेयरों पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गैन टैक्स (LTCG) लगाए जाने और उसके बाद नियामक ‘सेबी’ (SEBI) द्वारा म्युचुअल फंडों (Mutual Funds) के लिए स्मालकैप एवं मिडकैप शेयरों में निवेश नियमों में सख्ती किए जाने से बड़े एवं संस्थागत निवेशकों (HNI & Institutional Investors) का रूझान इनके प्रति कम हो गया। तब बड़े निवेशकों ने अपना निवेश स्मालकैप एवं मिडकैप शेयरों में घटा दिया और लार्जकैप शेयरों में ही निवेश पर फोकस बढ़ाते गए। इस वजह से स्मालकैप व मिडकैप में मंदी छायी रही और लार्जकैप में तेजी आती रही। तभी सेंसेक्स और निफ्टी नई ऊंचाइयों पर पहुंचते रहे।

    लार्जकैप कंपनियों से ज्यादा ग्रोथ, लंबी तेजी के आसार

    विश्लेषकों का कहना है कि फार्मा, (Pharma) आईटी (IT), स्टील (Steel), मेटल (Metal), केमिकल (Chemical), टेक्सटाइल (Textile), प्लास्टिक (Plastic), पीवीसी पाइप (PVC Pipes), सीमेंट (Cement), शुगर (Sugar) सहित तमाम उद्योग क्षेत्रों की अनेक छोटी एवं मझौली यानी स्मालकैप एवं मिडकैप कंपनियां तेज ग्रोथ (Fast Growth) करने में सफल हो रही है। आयात (Import) निर्भरता घटाने के लिए सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ (Atmanirbhar Bharat) पर फोकस तथा कोरोना संकट के बाद भारत एवं वैश्विक अर्थव्यवस्था में तेज रिकवरी से भी इन्हें ग्रोथ बढ़ाने में मदद मिल रही है। इनकी ग्रोथ लार्जकैप कंपनियों से ज्यादा हो रही है। साथ ही तमाम स्माल एवं मिडकैप शेयर काफी सस्ते मूल्यांकन पर है। जबकि लार्जकैप शेयरों का मूल्यांकन अत्याधिक महंगा हो चला है। इस वजह से बड़े निवेशकों का आकर्षण फिर स्माल एवं मिडकैप शेयरों की तरफ बढ़ने लगा है। जिससे इनमें लंबी तेजी आने के आसार दिख रहे हैं। हालांकि वर्तमान में कोविड संकट की दूसरी लहर के प्रकोप के कारण कुछ गिरावट भी संभव है, लेकिन कोरोना का असर घटने के बाद फिर तेजी आने की उम्मीद है।