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  • राज्य में कोरोना को मात देने वालों में अभी भी भय
  • मुंबई में केवल 2% लोगों ने डोनेट किया प्लाज्मा

सूरज पांडे 

मुंबई. मुंबई सहित राज्यभर में कोरोना के गंभीर रोगियों को ठीक करने के लिए प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल चल रहा है. रोगियों को ठीक करने के लिए बीमारी से ठीक हुए डोनर्स की जरूरत है, लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि अब तक राज्य में कुल रिकवर हुए लोगों में से एक प्रतिशत ने भी प्लाज्मा डोनेट नहीं किया है. मुंबई में रिकवर हुए केवल 2 प्रतिशत ने प्लाज्मा डोनेट किया है.

सरकार की अपील का असर नहीं

कोरोना मरीजों को ठीक करने के लिए दवाइयों के अलावा कॉन्वेलेसेंट प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल भी किया जा रहा है. इस थेरेपी में कोरोना से ठीक (एंटीबाडी विकसित) हुए व्यक्ति के शरीर से प्लाज्मा निकाल कर बीमार व्यक्ति में डाला जाता है. राज्य सरकार प्लाज्मा डोनेशन के लिए लोगों से गुहार तो लगा रही है, लेकिन इसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं देखने को मिला है. 

राज्य में 3,51,710 लोग हुए रिकवर

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों का आंकलन करें तो राज्य में 9 अगस्त तक कुल 3 लाख 51 हजार 710 लोग रिकवर हुए हैं. इनमें से लगभग 42 प्रतिशत लोग हाल ही में रिकवर हुए हैं. रिकवर हुए मरीजों को ध्यान में रखते हुए अगर 25 दिन पहले यानी 10 जुलाई की बात करेंं तो अब तक 1 लाख 32 हजार 625 मरीज रिकवर होने के बावजूद 5 अगस्त तक मात्र 1236 लोग प्लाज्मा दान के लिए आगे आए हैं.

मुंबई में मात्र 662 लोग ही दान किए प्लाज्मा

मुंबई की बात करेंं तो 10 जुलाई तक 55883 मरीज रिकवर हुए, लेकिन इनमें से मात्र 662 लोग ही प्लाज्मा दान के लिए आए. प्लाज्मा डोनेशन को लेकर लोगों में हिचकिचाहट क्यों है इस पर डॉयरेक्टोरेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (DMER) के निदेशक डॉ. तात्या राव लहाने ने कहा कि लोगों में बीमारी को लेकर अब भी भय है. नई बीमारी है, कई सवाल लोगों के मन में उठते हैंं.यही कारण है कि लोग डोनेशन से कतराते हैं. यह केवल प्लाज्मा डोनेशन नहीं नेत्रदान, रक्तदान, अवयव दान की शुरुआती दौर में बहुत कम ही लोग आगे आते थे. जागरूकता बढ़ने के बाद दान दाताओं की संख्या में बढ़ोत्तरी हो सकती है.

कॉउंसलिंग की जरूरत

जरूरतमंदों को रक्त की आपूर्ति करने वाली संस्था थिंक फाउंडेशन के विनय शेट्टी ने बताया कि सरकार कही न कहीं लोगों को जागरूक करने में विफल है.केवल फोन कर मरीजों को प्लाज्मा डोनेशन के लिए कहने से काम नहीं चलेगा, उन्हें रिकवर हुए लोगों की प्रॉपर कॉउंसलिंग करनी होगी. सरकार को कॉउंसलर की नियुक्ति करनी चाहिए.

हम क्यों जाएंं

बीएमसी स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कई मरीज डोनेशन के लिए वापस अस्पताल में आने से कतराते हैं. तो कई लोग यह भी सोचते हैं कि हम ठीक हो गए तो फिर हम क्यों जाएंं.