वसई-विरार में 10 करोड़ का टीडीआर घोटाला

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  • आगरी सेना ने किया पर्दाफाश
  • अधिकारियों की जांच कर कार्रवाई हो
  •  लाभ लेने वाले बिल्डरों पर भी दर्ज हों मामले

विरार. भ्रष्टाचार की बात चले और वसई-विरार मनपा का नाम ना लिया जाए, ऐसा नहीं हो सकता. इस बार मनपा द्वारा 10 करोड़ के टीडीआर घोटाला किए जाने का मामला सामने आया है.घोटाले  का खुलासा महाराष्ट्र राज्य आगरी सेना उपाध्यक्ष कैलाश हरि पाटिल ने किया है. इस मामले में शामिल सभी आरोपियों की जांच कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग उन्होंने की है. साथ ही कहा है कि इस घोटाले का लाभ लेने वाले सभी विकासकों (बिल्डरों) के खिलाफ एमआरटीपी के तहत मामला दर्ज हो. जिसके लिए उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, टीडीआर विभाग के साथ ही पालघर जिलाधिकारी को पत्र दिया है. 

उन्होंने कहा है कि मैंं हर माह इस घोटाले से जुड़े सभी अधिकारियों व विकासकों का नाम मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक करता रहूंगा. यदि इस मामले में कार्रवाई नहीं हुई तो आगरी सेना के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने को बाध्य होंगे. यह जानकारी विरार पूर्व के चंदनसार क्षेत्र में आयोजित पत्रकार परिषद के दौरान कैलाश पाटिल ने दी है.

सभी घोटाले वर्ष 2015 से 2018 के बीच किए गए 

 साथ ही बताया कि उक्त सभी घोटाले वर्ष 2015 से लेकर 2018 के बीच किए गए हैंं,जो कि वसई- विरार मनपा, राजस्व विभाग व मुद्रांक अधिकारी की मिलीभगत से खुद के आर्थिक लाभ के लिए महाराष्ट्र शासन का 10 करोड़ रुपए के रेवेन्यू को डूबोया गया है,इसलिए इस दौरान मनपा में सम्बन्धित पद पर तैनात सभी अधिकारियों की जांच की जाए तथा इस घोटाले का लाभ लेने वाले 25 विकासकों (बिल्डरों) के खिलाफ एमआरटीपी के तहत मामला दर्ज कराया जाए. उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले से जुड़े सभी विकासकों को स्थानीय सत्तापक्ष का वरदहस्त प्राप्त है, जिसके कारण उन्हें यह लाभ दिया गया है. 

विकासकों को किस आधार पर यह छूट दी गई 

सामान्य नागरिक को नवीन शर्त की जमीन की खरीदी के लिए शासन को 14400 रुपए के रेट से पैसा जमा करना पड़ता है, वहीं इस मामले से जुड़े विकासकों को सिर्फ 8015 रुपए के मानक पर दिया गया. इन दोनों मानकों में 6000 रुपए का फर्क है.आखिर इसके पीछे का कारण क्या है. इन सभी विकासकों को किस आधार पर यह छूट दी गई है, इसकी ईमानदारी से जांच होनी चाहिए.