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मुंबई. एसटी महामंडल के कुल बजट में सर्वाधिक खर्च ईंधन और वेतन पर होता है.एसटी के 1 लाख 2 हजार से ज्यादा कर्मचारियों में लगभग 27 हजार के लिए स्वेच्छानिवृत्ति योजना लागू करने की मांग महाराष्ट्र एसटी कर्मचारी कांग्रेस ने की है.

संगठन ने परिवहन मंत्री अनिल परब को दिए पत्र में कहा कि ठेके पर कार्यरत 1600 कर्मचारियों के स्थान पर एसटी के कर्मचारियों की स्थायी नियुक्ति हो.इससे खर्च में काफी कमी आएगी.

रोजाना 22 करोड़ का नुकसान

लॉकडाउन की वजह से एसटी महामंडल को प्रतिदिन 22 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ रहा है.आर्थिक संकट में होने की वजह से कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है.पिछले 3 माह में हालत बहुत खराब हो गई है.कर्मचारी भीषण आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं.आय घटने के साथ डीजल और वेतन के बढ़े खर्च पर तत्काल रोक लगानी होगी.डीजल पर केंद्र व राज्य सरकार का कर माफ करने की मांग की गई है.

खर्च में बड़ी बचत हो सकेगी

इसके साथ 27 हजार वरिष्ठ कर्मचारियों  को लाभदायक  स्वेच्छानिवृत्ति योजना लाने व उनके स्वेच्छा निवृत्त होने पर  वेतन खर्च में बड़ी बचत हो सकेगी.एसटी में एक लाख दो हजार नियमित कर्मचारी इस समय कार्यरत हैं.इनके वेतन भत्तों आदि पर हर माह 275 से 280 करोड़ ख़र्च होता है.इनमें 27 हजार वरिष्ठ कर्मचारियों के  वेतन पर 100 करोड़ से अधिक खर्च होता है.लगभग 25 प्रतिशत वरिष्ठ कर्मचारियों पर ही कुल वेतन का 35 से 40 प्रतिशत खर्च होता है.इसके अलावा 1600 ठेका कर्मचारियों पर 4 करोड़ से ज्यादा खर्च होता है, एसटी के अतिरिक्त कर्मचारियों को काम दिया गया तो यह बचत भी होगी.संगठन के महासचिव श्रीरंग बरगे कोषाध्यक्ष संतोष गायकवाड ने परिवहन मंत्री से मिलकर उक्त निवेदन दिया है.