आवाज से कोरोना की जांच के लिए 300 नमूने इस्राइल रवाना

  • अब तक 1500 लोगों का लिया जा चुका है सेंपल

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मुंबई. आवाज से कोरोना की पहचान करने के लिए  गोरेगांव स्थित नेस्को अस्पताल में लिए जा रहे नमूने इस्राइल भेज दिए गए हैं. नेस्को में 5 सितंबर से आवाज से कोरोना की पहचान करने के लिए नमूने एकत्र किए जा रहे हैं. अब तक कुल 1500 नमूने लिए गए हैं, जिसमें से 300 नमूने  इस्राइल भेजे गए हैं.

गोरेगांव स्थित नेस्को में बने जंबो कोविड सेंटर में आवाज से कोरोना मरीज की पहचान करने के लिए इस्राइल की वोकोलिस हेल्थ और मुंबई महानगरपालिक संयुक्त रूप से प्रयोग कर रहा है. इस्राइल और अमरीका में इसका प्रयोग किया जा चुका है. यहां पर कोरोना मरीज की पहचान करने के लिए आवाज से सेंपल लिया जा रहा है, जिसकी 30  सेकंड में रिपोर्ट आ जाती है. आवाज के नमूने में लक्षण दिखाई देने के बाद मरीज का एंटीजन अथवा आरटीपीसीआर टेस्ट किया जाता है. नेस्को में अब तक 1500 मरीजों की स्क्रीनिंग हो चुकी है, जिसमें से जांच के लिए 300 नमूने इस्राइल भेजे दिए गए हैं. नेस्को की डीन डॉ. नीलम आन्द्रे ने बताया कि 5 सितंबर से चल रहे नमूने लेने की प्रक्रिया में अब तक 1500 मरीजों का नमूना लिया जा चुका है.

उन्होंने बताया कि अगले 10 से 15 दिन में और 500 लोगों का नमूना इकठ्ठा किया जाएगा. आवाज नमूनों में से 300 नमूनों को उनमें किसी तरह की और बीमारी है या नहीं, इसकी पूरी जानकारी के साथ इस्राइल भेजा गया है. शुरुआती दौर में अभी 300 नमूने भेज दिए जाने की जानकारी डॉ. आन्द्रे ने दी. नेस्को में 2000 मरीजों के  नमूने  लिए जाएंगे जिसके आधार पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी. मरीजों के लिए गए नमूने इस्राइल मेल द्वारा भेजे जाने की जानकारी उन्होंने दी. अभी तक  कोरोना के लक्षण की पहचान बुखार खांसी ऑक्सीजन लेवल से की जाती थी. आवाज से पहचान हो इसके लिए एक और अत्याधुनिक तकनीकी का प्रयोग किया जा रहा है. जिसका नाम है वाइस बायो मार्कर आर्टिफिशियल इंटिलिजन्स पद्धति जिससे आवाज से  स्क्रीनिंग की जाएगी.

नेस्को में 2 हजार मरीजों का वाइस  सेंपल लिया जा रहा है. मरीज की चार भाषाओं में नमूने लिए जा रहे हैं. जिसमे हिंदी अंग्रेजी मराठी और गुजराती में भाषा शामिल है. आवाज की तरंग को एक मोबाइल के द्वारा उसके ऐप में इकठ्ठा किया जा रहा है. 500 मरीजों के नमूने के साथ उनका एक्सरे, कोरोना टेस्ट आदि की जानकारी  भेजी जाएगी, जबकि 1500 मरीजों का सिर्फ वाइस सेंपल भेजा जाएगा. भेजे गए सभी नमूनों का अध्ययन करने के बाद तय किया जाएगा कि आवाज से टेस्ट करने का प्रयोग  यथार्थ है अथवा नहीं.