श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में तनाव के बीच गूंजी  किलकारियां, सफर में हुआ 34 बच्चों का जन्म

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मुंबई. कोरोना के चलते देशव्यापी लॉकडाउन में सबसे बड़ी मुसीबत प्रवासी मजदूरों को झेलनी पड़ी है, परंतु श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में तनाव के बीच सफर करने वाले कई प्रवासी दंपत्तियों को संतान सुख भी मिला. प्रवासी मजदूरों को उनके गांव पहुंचाने के लिए देश के विभिन्न शहरों से चलाई गई स्पेशल ट्रेनों में सफर के दौरान 34 गर्भवती महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया. 

रेल प्रशासन और आरपीएफ की मदद से श्रमिक महिलाओं की सुरक्षित डिलेवरी कराई गई.श्रमिक ट्रेनों में जन्म लेना वाला पहला बच्चा ममता यादव का था, वह 8 मई को पैदा हुआ, उसकी मां गुजरात से बिहार जा रही थी. 

अब श्रमिक ट्रेनें लगभग बंद हो चुकी

अब श्रमिक ट्रेनें लगभग बंद हो चुकी हैं. बताया गया कि एक महीने तक चलीं इन ट्रेनों में 34 बच्चों ने जन्म लिया.इनमें से कुछ बच्चों का नाम यात्रियों ने ‘कोरोना कुमारी’ और ‘लॉकडाउन’ तक रख दिया.दो दिन पहले एर्नाकुलम से बोकारो आई श्रमिक स्पेशल ट्रेन में जॉनसन और असीमा नामक मजदूर दंपत्ति को पहली संतान का सुख मिला.सिमडेगा निवासी इस दंपती का कहना था कि जब एर्नाकुलम से चले तो मजबूरी व कष्ट के सिवा कुछ नहीं था, लेकिन अब उनके पास जीने और खुश रहने की एक वजह आ गई है.असीमा ने एक पुत्री को जन्म दिया है.मुंबई से पटना जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेन में प्रवासी गर्भवती किरण देवी ने मानिकपुर स्टेशन पर बच्चे को जन्म दिया. किरण देवी अपने पति के साथ मुंबई से जा रही थी. 23 साल की संगीता, 27 साल की मधु इन दो गर्भवती महिलाओं ने श्रमिक ट्रेन में बच्चे को जन्म दिया.9 माह की गर्भवती संगीता बेंगलुरू से यूपी अपने घर आने के दौरान श्रमिक ट्रेन में यात्रियों की मदद से स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया.

आरपीएफ की मदद मिली

27 साल की मधु कुमारी ने यूपी अपने घर जाने के दौरान प्रसव पीड़ा होने पर झांसी रेलवे स्टेशन पहुंचने से पहले ही बच्चे को जन्म दिया.मधु को तत्काल आरपीएफ की मदद मिली. मुंबई से वाराणसी श्रमिक ट्रेन में जा रही सुनीता ने जबलपुर में एक बच्चे को जन्म दिया.इसी तरह पिंकी यादव अहमदाबाद से फैजाबाद श्रमिक विशेष रेलगाड़ी में आरपीएफ कर्मियों की मदद से बेटे को जन्म दिया.रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार जिन महिलाओं ने ट्रेनों में बच्चों को जन्म दिया है,उनमें सर्वाधिक 16 यूपी, 6 बिहार, 3 ओडिशा, 3 छत्तीसगढ़, झारखंड, राजस्थान राज्यों की हैं .उल्लेखनीय है कि आज-कल जहां महिलाओं की सिजेरियन डिलेवरी आम हो गई है, वहीं तनाव के बीच श्रमिक ट्रेनों में सफर कर रहीं इन सभी गर्भवती महिलाओं की सुरक्षित डिलेवरी किसी वरदान से कम नहीं है.

ट्रेन में जन्में सभी बच्चे और उनकी माताएं स्वस्थ 

आरपीएफ के महानिदेशक अरुण कुमार ने भी ट्वीट कर  श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में पैदा हुए सभी बच्चों का स्वागत किया.रेलवे बोर्ड के प्रवक्ता ने भी कहा कि ‘हम गर्व से कह सकते हैं कि ट्रेन में जन्में सभी बच्चे और उनकी माताएं स्वस्थ हैं. इस बहाने उन प्रवासी मजदूरों को खुशी का मौका मिला,जो महीनों से बिना खाना-पानी के विभिन्न शहरों में फंसे हुए थे.