BMC students
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  • गांव से नहीं लौटने का शक
  • लगाया जाएगा पता

मुंबई. मनपा स्कूलों में पढ़ने वाले हजारों विद्यार्थी इस वर्ष शिक्षा की मुख्यधारा से वंचित हो सकते हैं क्योंकि बीएमसी स्कूलों में पढ़ने वाले एक चौथाई विद्यार्थी ऑनलाइन परिक्षा से नहीं जुड़े हैं. बीएमसी का कहना है कि उसका 50 हजार से 60 हजार बच्चों से कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है, जबकि अन्य बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई शुरु हो गई है. लेकिन जो बच्चे अपने परिजनों के साथ शहर से बाहर चले गए थे उनका कुछ पता नहीं है. पिछले वर्ष बीएमसी के स्कूलों में कुल 2.64 लाख बच्चे पढ़ रहे थे,

 बच्चों को ट्रेस करने में जुटी बीएमसी

लॉकडाउन के कारण मार्च महीने में ही सभी स्कूलों को बंद कर दिया गया था जिसे अब तक शुरु नहीं किया गया है. निजी विद्यालयों की तरह बीएमसी स्कूलों में भी ऑनलाइन पढ़ाई शुरु हो गई है. लेकिन बीएमसी के 50 हजार से 60 हजार विद्यार्थी शिक्षा की मुख्यधारा से कट गए हैं. ऑनलाइन स्कूल शुरु होकर दो महीने बीत गए हैं फिर भी बच्चों से संपर्क नहीं हो सका है. अब बच्चों की खोज के लिए बीएमसी ने विशेष मुहिम शुरु की है. जिन विद्यार्थियों के पास मोबाइल फोन नहीं है उनके लिए बालकमित्र, पालकमित्र जैसी योजना चलाने की तैयारी की जा रही है.

सभी छात्रों की जानकारी मांगी 

एजुकेशन ऑफिसर महेश पालकर ने बीएमसी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों से मार्च 2020 में दर्ज उपस्थित पंजिका के सभी छात्रों की जानकारी मांगी है. इससे छात्र, उनका या अभिभावक का पता लगाया जाएगा कि बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई क्यों नहीं कर रहे हैं. इस शैक्षणिक सत्र से बाहर हुए बच्चों का पता लगाने के लिए वर्गवार अभिभावक व शिक्षकों की समिति, बालक मित्र योजना, पालक मित्र योजना शुरु करने का खाका खींचा जा रहा है.

गरीबी है बच्चों की समस्या

मालूम रहे कि बीएमसी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे गरीब परिवारों से आते हैं. ऐसे परिवारों में यदि मोबाइल है भी तो परिवार का मुखिया उसे लेकर काम पर जाता है. मोबाइल पढ़ने के लिए मिल भी जाता है तो जिनके पास एक से अधिक बच्चे हैं और अलग-अलग कक्षाओं में पढ़ते हैं उन्हें एक साथ ऑनलाइन क्लास अटेंड करना मुश्किल हो रहा है. दूसरी समस्या यह है कि जिनके पास दिन भर के राशन का जुगाड़ नहीं है वे इतने मोबाइल और इन्टरनेट पैक की व्यवस्था कैसे करेंगे और जिनके घर में फोन ही नहीं है उस घर के बच्चों की पढाई कैसे होगी. उसमें भी जो गांव चले गए हैं जिनकी नौकरी चली गई है वे कोरोना काल में दूसरी नौकरी नहीं मिलने की संभावना से अभी मुंबई वापस नहीं आना चाहते. कुछ पालकों के पास एंड्राइड मोबाइल नहीं होने की बात सामने आयी है.

 जो बच्चे संपर्क में हैं उन्हें संपर्क कर गूगल के जरिए, वाट्सएप, टेलीग्राम, मेसेंजर से पाठ्यक्रम का वीडियो भेजते हैं. इसमें से 60 प्रतिशत बच्चे हमारे संपर्क में हैं. जो विद्यार्थी संपर्क में हैं और उनके पास मोबाइल नहीं है ऐसे बच्चों के लिए बालक मित्र योजना है. हमारी यह भी कोशिश है कि जिस बच्चे के पास मोबाइल है वह अपने बगल के बच्चे को ऑनलाइन क्लास में शामिल कर ले.  -महेश पालकर, एजुकेशन ऑफिसर बीएमसी