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मुंबई. महाराष्ट्र की जीवनरेखा कही जाने वाली एसटी सोमवार को 72 वर्ष की हो गई. 1 जून 1948 को तत्कालीन बॉम्बे स्टेट रोड ट्रान्सपोर्ट कॉर्पोरेशन के नाम से शुरू हुई एसटी बस आज पूरे महाराष्ट्र में एमएसआरटीसी की ‘लालपरी’ के नाम से जानी जाती है. पहली बस अहमदनगर और  पुणे के बीच दौड़ी, जिसके ड्राइवर  किसन राऊत व कंडक्टर लक्ष्मण केवटे थे. 

1956 में पहली बार ‘रातराणी’ के नाम पर रात्रि सेवा,1982 में आराम बस और अब तो शिवनेरी, शिवशाही जैसी अत्याधुनिक बसें एसटी के बेड़े में शामिल हैं. राज्य के गांव-खेड़े से लेकर शहरों तक लगभग 16,500 बसें चल रहीं हैं.

एसटी ने 5.50 लाख प्रवासी मजदूरों को पहुंचाया

एसटी की स्थापना के 72 साल पूरे होने पर परिवहन मंत्री एड अनिल परब ने अधिकारियों-कर्मचारियों की सराहना करते हुए कहा कि कोरोना महामारी की स्थिति में एसटी ने अपनी जिम्मेदारी निभाई है.अनिल परब ने कहा कि अत्यावश्यक सेवा में लगे लोगों को उनके कार्यस्थल पर पहुंचाने के साथ लगभग 5.50 लाख प्रवासी मजदूरों को राज्य की सीमा तक पहुंचाया है. 

अब मालवाहक एसटी ट्रक

 किसानों, व्यापारी, लघु उद्यमियों की मदद के लिए अब एसटी की मालवाहक ट्रक सेवा भी शुरू होने जा रही है. एसटी महामंडल के पास के राज्य में 250 डिपो, 31 विभागीय कार्यालय हैं.जल्द ही  250 से 300 एसटी ट्रक उपलब्ध कराए जाएंगे. इस योजना से एसटी की आय में बढ़ोतरी के साथ किसानों, व्यापारियों, उद्यमियों का फायदा होगा. एसटी मालवाही ट्रक का उपयोग फिलहाल एसटी के काम के लिए हो रहा है. जल्द ही यह आम लोगों के लिए उपयोग में लाया जाएगा.