90 साल की जापानी महिला ने कोरोना से जीती जंग

Loading

मुंबई. 90 वर्षीय जापानी महिला काजुको टाकाहाशी नाईक साटम का कोविड-19 इलाज मुंबई में किया गया. कांदिवली (पश्चिम) स्थित यूनाइटेड मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल को सबसे ज्यादा उम्र की कोरोना संक्रमित विदेशी महिला का इलाज करने का गौरव हासिल हुआ है. यह एक रिकॉर्ड है. काजुको की भारतीय रिश्तेदार सुप्रिया नाईक साटम ने कहा कि काजुको को 8 जून की रात्रि में सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और छाती में दर्द की शिकायत थी.

उसी रात उन्होंने काजुको को लेकर मुंबई के कई अस्पतालों का चक्कर काटा, लेकिन कहीं बेड खाली नहीं मिला. अंततः कांदिवली (प.) के यूनाइटेड मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में एडमिट किया गया. हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. बृजेश पांडेय ने बताया कि कई हॉस्पिटल में एडमिशन न मिलने के बाद वे लोग 8 और 9 जून की देर रात्रि में हमारे यहां आए, हमने उन्हें एडमिट किया और उनका चेकअप किया गया. 9 को उनका कोरोना टेस्ट किया गया, 10 को रिपोर्ट पॉजिटिव आई.

हॉस्पिटल में बेहतर इलाज किया गया

 सुप्रिया ने कहा कि हॉस्पिटल में उनका बेहतर इलाज किया गया. डॉ. पांडेय के नेतृत्व में टीम ने काजुको का इलाज किया. सुप्रिया के अनुसार उन्हें सुबह-शाम रिपोर्ट दी जाती थी और वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मरीज से बात भी कराई जाती थी. डॉ. पांडेय ने कहा कि मरीज को ब्लडप्रेशर है. उम्र ज्यादा होने के कारण उनकी पोजीशन क्रिटिकल थी, लेकिन हमारे डॉक्टर और स्टाफ के अथक प्रयास से इस विदेशी महिला को बचा लिया गया. 25 को मरीज की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद 26 जून को उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया. 

जापानी फूड की व्यवस्था 

डॉक्टर पांडेय ने कहा कि हॉस्पिटल में मरीज के पसंद के अनुसार जापानी फूड की व्यवस्था की गई थी. जापानी खाना मिलने से वे बहुत खुश थीं. सुप्रिया ने कहा कि ठीक होने के बाद काजुको ने डॉक्टर और स्टाफ को शुक्रिया अदा किया. इस समय वे अपने रिश्तेदारों के साथ बोरीवली स्थित घर में हैं. कुछ दिन पूर्व 30 मई को उनके भारतीय पति प्रभाकर नाईक साटम का कोविड-19 के चलते मृत्यु हो गई थी.

दूसरे विश्वयुद्ध का अनुभव

 सुप्रिया ने कहा कि काजुको दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हिरोशिमा और नागासाकी में हुए परमाणु विस्फोट के समय टोक्यो में थीं, उस वक्त उन लोगों पर रेडिएशन का ज्यादा असर नहीं पड़ा था, लेकिन खाना आदि बहुत मुश्किल से मिलता था. सुप्रिया के अनुसार काजुको ने अपने संदेश में कहा कि कोरोना कोई गंभीर बीमारी नहीं है, संयम और नियम से रहें, दवाइयों का प्रयोग करें तो इसे आसानी से हराया जा सकता है. जब मैं 90 साल की उम्र में कोरोना से लड़कर जीत सकती हूं तो कम उम्र के लोग क्यों नहीं लड़ सकते हैं.